कंसीव करने के बाद महिलाओं को 9 महीने के लिए पीरियड्स की समस्या नहीं होती। मगर, टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स (American tennis player) को प्रेगनेंसी के दौरान पीरियड्स होने लगे थे जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि यह समस्या क्या और क्यों होती है...
प्रेगनेंसी के 7 हफ्तों बाद हुई थी इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग
सेरेना विलियम्स को प्रेगनेंसी के 7वें हफ्ते में पीरियड्स शुरु हो गई थे। जब जांच के लिए गई तो डॉक्टर ने उन्हें बताया कि जिसे वे पीरियड्स समझ रही हैं वो वेजाइनल या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग है। गर्भावस्था के लगभग 14 हफ्तों के बाद 20 से 40% महिलाओं को यह समस्या होती है।
पल्मोनरी इम्बोलिजम से पीड़ित थी सेरेना
सेरेना ने बताया कि वह पल्मोनरी इम्बोलिजम (pulmonary embolism) नामक बीमारी से ग्रस्त थी, जो प्रेगनेंसी के अलावा प्रसव के बाद 2-3 हफ्तों तक बनी रहती है। इसके कारण एम्बोलिज्म खून का एक क्लॉट (पीई) फेफड़ों में चला जाता है, जिसके कारण शरीर के जरूरी अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। इसके कारण शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचता है। कई बार इसकी वजह से जान जाने का खतरा भी रहता है। सेरेना को इस बीमारी के चलते बेटी के जन्म के बाद 6 हफ्ते तक बिस्तर पर ही रहना पड़ता। इसकी वजह से उन्हें सांस लेने में भी काफी तकलीफ होती। हालांकि अब वह काफी हद तक ठीक है।
क्यों होती है प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग?
दरअसल, फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रूण फैलोपियन ट्यूब से होते हुए सीधे गर्भाशय की ओर जाता है और गर्भाशय की मोटी परत में रूक जाता है। इस प्रोसेस के कारण कई बार महिलाओं को प्रेगनेंसी में भी ब्लीडिंग होने लगती है, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता हैं। इसके अलावा यह समस्या संबंध बनाने के बाद सर्विक्स की सेंसिटिविटी बढ़ने के कारण भी हो सकती हैं।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण
. पेट में हल्दी ऐंठन
. पेट में हल्का दर्द
. हल्दी ब्लीडिंग होना
. प्रेगनेंसी के दौरान सांस लेने में दिक्कत
. दिल की धड़कन तेज होना
. छाती में दर्द महसूस होना
. बेचैनी और बेहोशी
. पैरों की नसों में सूजन
. चलते वक्त दर्द होना
. बार-बार पेशाब आना, इसकी वजह से पेल्विस में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है।
क्या करें?
वैसे एक्सपर्ट के मुताबिक, यह समस्या 24 से 48 घंटे तक ही होती है लेकिन अगर आपको समस्या ज्यादा देर तो घबराए नहीं। इसके लिए डाइट में सिर्फ फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड फूड्स अधिक लें।
इस बीमारी की रोकथाम के लिए प्रेगनेंसी के दौरान वजन पर कंट्रोल रखें। ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और कोई भी परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।