शिव भक्तों का प्रिय त्योहार शिवरात्रि आने में सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। हर साल फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र काफी जरुरी माना जाता है। इसके बिना पूजा भी अधूरी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। परंतु इसे शिवलिंग पर अर्पित करने से पहले कुछ नियमों का खास ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में...
न चढ़ाएं ऐसा बेलपत्र
शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही चढ़ाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र पर किसी भी तरह का दाग-धब्बा न हो । इसके अलावा कटा- फटा और मुरझाया हुआ बेलपत्र भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।
अच्छे से धोकर चढ़ाएं
बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले इसे अच्छे से धो लें। पूजा करते समय शिवलिंग पर बेलपत्र जरुर अर्पित करें। यदि आपके पास घर में बेलपत्र नहीं है तो आप पूजा के समय मौजूद बेलपत्र धोकर ही शिवलिंग पर अर्पित कर दें। यह कभी भी झूठा या बासी नहीं होता।
इतनी संख्या में चढ़ाएं
11 या फिर 21 की संख्या में बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करें। अगर आपके पास इतने बेलपत्र नहीं हैं तो कम से कम एक बेलपत्र भी शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं ।
तोड़ते समय ध्यान में रखें ये नियम
. बेलपत्र को तोड़ने से पहले भगवान शिव का याद कर लें। इसके अलावा बेल के पेड़ से पत्ता तोड़ने से पहले पेड़ को नमस्कार जरुर करें।
. बेलपत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी तिथि, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि, अमावस्या और सोमवार के दिन भूलकर भी न तोड़ें। यदि इनमें से किसी दिन भी आप शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करना चाहते हैं तो इन दिनों से पहले ही बेलपत्र तोड़कर रख लें।
. इसके अलावा पूरी टहनी के साथ बेलपत्र कभी भी न तोड़ें।
. महिलाएं यदि शिव पूजा के समय बेलपत्र अर्पित करती हैं तो इससे उन्हें अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।
. बेलपत्र पर चंदन से राम या फिर ओम नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।