बाॅलीवुड के बाद हाॅलीवुड में अपनी अदाकारी का झंडा लहरा चुकीं प्रियंका चोपड़ा ने गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। इस खास मौके पर एक्ट्रेस ने एक स्पेशल पोस्ट भी शेयर की है। प्रियंका ने अपनी पोस्ट में उन 15 महिलाओं का जिक्र किया है जिनका संविधना के निर्माण में अहम योगदान रहा है। इतना ही नहीं एक्ट्रेस ने उन महिलाओं की तस्वीर भी शेयर की है। इसी के साथ प्रियंका ने एक लंबा-चौड़ा कैप्शन भी लिखा है।
प्रियंका ने पोस्ट शेयर कर लिखा, 'मैंने दुनियाभर की शासन प्रणाली में शामिल महिलाओं के बारे में बहुत शोध किया है और उनके बारे में पढ़ा है कि उनके कौशल ने समुदायों और देशों को कैसे प्रभावित किया है। देश के नेतृत्व में महिलाओं के महत्व को समझने के लिए यह ज्ञान काफी आकर्षक और आनंदमय रहा है। मैं एक दिलचस्प जानकारी साझा करनी चाहूंगी जो हाल ही में मुझे पता चली है और जो मैंने सीखा है उसे आज पोस्ट करने के लिए सही दिन है।'
प्रियंका आगे लिखती हैं, 'क्या आप जानते हैं कि भारत की पहली संविधान सभा में 15 महिलाएं थीं और उन्होंने भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने में मदद की? इसलिए भारत के मूल सिद्धांतों के निर्माण में मदद करने वाले सभी लोगों के प्रयासों का जश्न मनाने के लिए आज काफी प्रेरणादायक और उपयुक्त दिन है। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।'
प्रियंका की पोस्ट में जिन 15 महिलाओं की तस्वीर हैं उनके बारे में हासिल करते हैं कुछ जानकारी...
एनी मस्कारीन
एनी मस्कारीन एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और तिरुवनंतपुरम, केरल से सांसद थीं। फरवरी 1938 में जब राजनीतिक दल Travancore State Congress का गठन हुआ तो वह उस पार्टी में शामिल होने वाली पहली महिला थी।
कमला चौधरी
कमला चौधरी अपने समय की लोकप्रिय कथा लेखिका थीं। वह उत्तर प्रदेश के हापुड़ से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं कमला चौधरी स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कई बार जेल गई थीं। इसके अलावा उन्होंने संविधान निर्माण में अहम योगदान दिया था।
विजया लक्ष्मी पंडित
विजय लक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपना अहम योगदान दिया था। वो केबिनेट मंत्री बनने वाली प्रथम भारतीय महिला और 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली विश्व की पहली महिला थीं। उन्होंने इन्दिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपतकाल का विरोध भी किया था।
हंसा जीवराज मेहता
हंसा जीवराज मेहता एक सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और लेखिका थीं। हंसा मेहता ने विदेशी कपड़े और शराब बेचने वाली दुकानों के बहिष्कार का आयोजन किया था। स्वतंत्रता के बाद वे उन 15 महिलाओं में शामिल थीं, जो भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली घटक विधानसभा का हिस्सा थीं। उन्होंने भारत में महिलाओं के लिए समानता और न्याय की वकालत भी थी।
सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू ने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गईं। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वे उत्तरप्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं। उन्होंने भारतीय महिलाओं को समाज में फैली कुरीतियों के लिए जागरुक किया। सरोजिनी नायडू को 'भारत कोकिला' के नाम से भी जाना जाता है।
सुचेता कृपलानी
सुचेता कृपलानी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थीं। वे भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय होने के कारण उन्हें एक साल के लिए जेल जाना पड़ा था। जिसके बाद 1949 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गई थीं।
बेगम एजाज रसूल
बेगम क़दसिया ऐज़ाज़ रसूल भारत की संविधान सभा में एकमात्र मुस्लिम महिला थीं। उन्होंने 1937 से 1940 तक परिषद के उपाध्यक्ष का पद संभाला और 1950 से 1952 तक परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में काम किया था। वह भारत की पहली महिला और इस पद तक पहुंचने वाली दुनिया की पहली मुस्लिम महिला थीं।
अम्मू स्वामीनाथन
अम्मू स्वामीनाथन ने हमेशा लैंगिक और जातिगत उत्पीड़न का विरोध किया। फिर उन्होंने चुनाव लड़ा और संविधान सभा की सदस्य के लिए चुनी गई। वह हमेशा से महिलाओं के अधिकारों के पक्ष में बात करती थीं। वह लोकसभा और राज्यसभा की सदस्य रहीं और उन्होंने स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया।
लीला राॅय
लीला रॉय एक प्रगतिशील वामपंथी और नारीवादी भारतीय राजनीतिज्ञ और सुधारक थीं। वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की करीबी सहयोगी थीं। उन्होंने खुद को लड़कियों की शिक्षा और सामाजिक कार्य समर्पित कर दिया था। लीला ने कई स्कूल और शिक्षा संस्थान भी खोले।
दुर्गाबाई देशमुख
दुर्गाबाई देशमुख भारत की स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा स्वतंत्र भारत के पहले वित्तमंत्री चिंतामणराव देशमुख की पत्नी थीं। दुर्गाबाई देशमुख के निर्देशन में योजना आयोग द्वारा प्रकाशित ‘भारत में समाज सेवा का विश्वकोश’ तैयार हुआ था। उन्होंने अनेक विद्यालय, चिकित्सालय, नर्सिंग विद्यालय तथा तकनीकी विद्यालय स्थापित किए। उन्होंने नेत्रहीनों के लिए भी विद्यालय, छात्रावास तथा तकनीकी प्रशिक्षण केन्द्र खोले।
मालती चौधरी
संविधान सभा के सदस्या मालती चौधरी ने ग्राम विकास के लिए प्रौढ़ शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया। मालती ने राजनीति से अलग रहकर एक सामाजिक एक्टिविस्ट के रुप में काम करने का फैसला किया।
राजकुमारी अमृत कौर
राजकुमारी अमृत कौर स्वतंत्र भारत की दस वर्षों तक स्वास्थ्य मंत्री रही थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्ता थीं। राजकुमारी अमृत कौर को खेलों से बेहद प्यार था इसलिए उन्होंने नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया की स्थापना की थी और इस क्लब की वह अध्यक्षा शुरु से रहीं।
रेणुका रे
रेणुका रे एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता-सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और भारत की राजनीतिज्ञ थीं। साल 1932 में वह अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनीं। रेणुका 16 साल की आयु में महात्मा गांधी के संपर्क में आई और उनसे बहुत प्रभावित हुई। वर्ष 1959 में उन्होंने सोशल वेलफेयर और पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति की अध्यक्षता की, जिसे रेणुका रे समिति के नाम से जाना जाता है।
दक्षायनी वेलायुधन
दक्षायनी पहली दलित महिला एमएलए थीं। इसके अलावा वह अपनी कम्युनिटी में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी महिला था। केरल सरकार ने उनके नाम पर 'दक्षायनी वेलायुधन पुरस्कार' का गठन किया जो उन महिलाओं को दिया जाता है जिन्होंने राज्य में अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने में योगदान दिया हो।