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Nari

Pray  For Punjab :बह गई सड़कें और डूब गए घर,  बाढ़ से पंजाब में मची हाहाकार

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 28 Aug, 2025 07:18 PM
Pray  For Punjab :बह गई सड़कें और डूब गए घर,  बाढ़ से पंजाब में मची हाहाकार

नारी डेस्क:  पौंग बांध से गुरुवार को 1.10 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने से पंजाब के होशियारपुर जिले के बाढ़ग्रस्त टांडा और मुकेरियां उपमंडलों की स्थिति और बिगड़ गयी है। इन क्षेत्रों के कई गांवों में कृषि भूमि पिछले कई दिनों से जलमग्न है। पानी का बहाव बढ़ने से टांडा उपमंडल के गंधोवाल, रारा मंड, तल्ही, सलेमपुर, अब्दुल्लापुर, मेवा मिआनी और फत्ता कुल्ला में खड़ी धान, गन्ना और अन्य फसलें, साथ ही मुकेरियां उपमंडल के मोतला, हलेर जनार्दन, सनियाल, कोलियान और मेहताबपुर जलमग्न हो गये। 

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नदी के ऊपरी इलाकों में भारी बारिश के बाद पौंग (ब्यास) बांध के अधिकारियों ने शाह नहर बैराज में पानी का निर्वहन लगभग 95,000 क्यूसेक से बढ़ाकर अपराह्न दो बजे 1.10 लाख क्यूसेक कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि बांध का जलस्तर, जो सुबह चार बजे 1,393.55 फुट तक पहुंच गया था, दोपहर के आसपास थोड़ा कम होकर 1,393.26 फुट पर आ गया, अभी भी खतरे के निशान 1,390 फुट से ऊपर और अपनी पूरी क्षमता 1,410 फुट के करीब है। दोपहर में पानी का प्रवाह लगभग 60,000 क्यूसेक था। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए, जिला मजिस्ट्रेट ने नहरों, मौसमी नालों और व्यास नदी के तटबंधों के किनारे संवेदनशील स्थानों पर चौबीसों घंटे निगरानी रखने के आदेश दिये हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी गांवों के स्वस्थ वयस्क पुरुषों को तटबंधों को संभावित दरारों से बचाने के लिए ठीकरी पहरा (रात्रिकालीन निगरानी) के लिए तैनात किया जाये। उन्होंने ग्राम पंचायतों को अपने-अपने क्षेत्रों में इन आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये। 
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 बताया कि जिले में बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या बुधवार को 44 थी जो गुरुवार को बढ़कर 64 हो गयी, जिनमें मुकेरियां तहसील में 28, दसूया में 20 और टांडा में 14 गांव शामिल हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने अब तक 1,052 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है, जिनमें से 784 लोगों को पिछले 16 घंटों के दौरान ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। वर्तमान में, 15 राहत शिविर चालू हैं, जिनमें 413 लोग रह रहे हैं, जिनमें से 280 लोगों को पिछले 16 घंटों में वहां पहुंचाया गया है। बाढ़ ने अब तक जिले में 5,287 हेक्टेयर कृषि भूमि को नुकसान पहुंचाया है। इस मानसून सीज़न में भारी बारिश के कारण आयी बाढ़ और मकान ढहने से ज़लिे में सात लोगों की मौत हो चुकी है। 

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चालू मानसून सीजन के दौरान 17 कच्चे मकान ढह गए हैं, जबकि पांच अन्य को गंभीर क्षति पहुंची है तथा एक मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुआ है। गंधोवाल गांव निवासी धरमिंदर सिंह (36) ने बताया कि उन्हें और उनके दस लोगों के परिवार को अपना घर छोड़कर अपने मवेशियों के साथ टांडा-श्री हरगोबिंदपुर रोड पर जाना पड़ा, जहां वे एक ट्रैक्टर-ट्रेलर में रह रहे हैं। गंधोवाल, फत्ता कुल्ला और रारा मंड गांवों की महिलाओं और बच्चों समेत लगभग 125 लोगों ने भी तिरपाल से ढके ट्रैक्टर-ट्रेलरों में शरण ली है।  2023 की बाढ़ को याद करते हुए, उन्होंने बताया कि उस समय भी उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा था और उनकी अनुपस्थिति में उनका कुछ सामान चोरी हो गया था। उन्होंने कहा, ‘‘इस बार हमें न केवल अपने परिवारों पर, बल्कि अपने घरों पर भी नज़र रखनी है।'' 

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