बच्चों को पोषण देने के लिए मांं-बाप उनकी डाइट में कई चीजें एड करते रहते हैं।जब बच्चा 6 माह की उम्र के बाद ठोस आहार लेना शुरू करता है तो उसे सेरेलक देने की सलाह दी जाती है। समय की कमी के कारण बहुत से पेरेंट्स बच्चों को बाजार का सेरेलक खिला देते हैं, अगर आप भी यही कर रहे हैं तो तुरंत इसे हटा दें। हम आपको ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं, जिसके बाद आप कभी भी बाजार से सेरेलक नहीं खरीदेंगे।
भारत में Nestle पर किया जाता है ज्यादा भरोसा
(Nestle) सबसे बड़ी बच्चों के प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी है और भारत में इस पर कुछ ज्यादा ही भरोसा किया जाता है। हाल ही में एक रिपोर्ट में Nestle के सेरेलक को बच्चों के लिए खतरनाक बताया गया है। ज्यूरिख स्थित पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि नेस्ले गरीब देशों में बेचे जाने वाले बच्चों के दूध में चीनी मिलाता है।
बेबी फूड में मिली इतनी चीनी
रिपोर्ट की मानें तो नेस्ले भारत के साथ ही अन्य एशियाआई देशों और अफ्रीका समेत कई देशों में बेचे जाने वाले बच्चों के प्रोडक्ट में चीनी का इस्तेमाल कर रहा है। वहीं, यूरोप और ब्रिटेन में बेचे जाने वाले सामान में चीनी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। जांच में पाया गया कि छह महीने तक के बच्चों के लिए गेहूं से बने लगभग सभी बेबी फूड में प्रति कटोरी (1 सर्विंग) एवरेज 4 ग्राम शुगर की मात्रा थी। इसमें सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली। वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर शिशुओं के फूड्स में मिली।
करोड़ों बच्चों की सेहत से किया खिलवाड़
रिपोर्ट में कहा गया कि-, "नेस्ले अपने प्रोडक्ट्स में मौजूद विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्वों की जानकारी तो देता है, लेकिन जब बात अतिरिक्त चीनी की आती है, तो ये बिल्कुल भी पारदर्शी नहीं है." । नेस्ले ने 2022 में भारत में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के सेरेलैक प्रोडक्ट्स बेचे हैं, मतलब यह कंपनी करोड़ों बच्चों की सेहत से खिलवाड़ कर चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि बच्चों के पोषण पर सलाह देने वाली नेस्ले की वेबसाइट कहती है कि अपने बच्चे के लिए खाना बनाते समय उसमें चीनी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
बच्चों को चीनी देने का ये है नुकसान
ज्यादा चीनी खाने से बच्चे की बॉडी में कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है, जो मोटापे की वजह बनता है। शरीर में जब शुगर का स्तर बढ़ता है, तो इससे इंसुलिन का उत्पादन बढ़ जाता है, जो कि ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है। शरीर में अधिक मात्रा में इंसुलिन होने के कारण सुस्ती बढ़ सकती है। बाल रोग विशेषज्ञ कम उम्र के बच्चों को चीनी और नमक ना देने की सलाह देते हैं। पर नेस्ले पर भरोसा कर हम अनजाने में बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं।