उतना ही लो थाली में व्यर्थ ना जाए नाली में...ये लाइनें हमने सुनी तो बहुत है लेकिन इस पर अमल कितनी बार किया है? अगर बात बच्चों की की जाए तो उनको तो इसका मतलब भी नहीं पता होगा। आमतौर पर देखा जाता है कि बच्चों की प्लेट में भूख से ज्यादा खाना परोस दिया जाता है, जिसके बाद वह सारा खाना फेंकना पड़ता है। बच्चों और पेरेंट्स को सीख देने के लिए आज हम रुपाली गांगुली का शो 'अनुपमा' का जिक्र करने जा रहे हैं।
जो लोग इस शो को देखते हैं उन्हें याद होगा कि कुछ दिनों पहले एक एपिसोड आया था जिसमें 'अनुपमा' की बेटी पाखी खाना फेंकने की बात करती है। ऐसे में अपनी बेटी को सीख देने के लिए अनुपमा कहती है- असल में मां- बाप को बच्चों को लंदल पैरिस नहीं दिखाना चाहिए बल्कि उन्हें गांव लेकर जाना चाहिए जहां अनाज उत्पन्न होता है। बच्चों को खेत दिखाने चाहिए किसान दिखाने चाहिए। जिस बच्चे ने कभी किसान को पसीना बहाते नहीं देखा गेहूं की फसल नहीं देखी उसे गेहूं के दाने की क्या कदर होगी। तभी तो बच्चे खाना खाते कम हैं फेंकते ज्यादा है।
अनुपमा ने सीरियल के माध्यम से यह समझाने की कोशिश की थी गलती बच्चों की नहीं मां- बाप की है जो ए, बी, सी, डी सिखाने में इतना खो जाते हैं कि वह बच्चों को अन्न का महत्व ही बताना भूल जाते हैं। अगर बच्चों को किसान नहीं दिखा सकते तो उन्हें यह तो बता सकते हैं कि एक- एक पैसा कमाने के लिए कितनी मेहनत की जाती है। अगर बच्चे यह समझ गए तो कभी खाने की बर्बादी नहीं करेंगे।
आमतौर पर सभी बच्चों में खाना वेस्ट करने की आदत देखी जाती है। खाते-खाते वो कभी भी कह देते हैं कि अब उनका खाने का मन नहीं है और प्लेट में बचा हुआ खाना फेंकना पड़ता है। ऐसे में परिवार वालों की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें बताएं कि खाना फेंकना गलत बात है। चलिए बताते हैं बच्चों को कम उम्र से खाना वेस्ट ना करने की आदत कैसे डाल सकते हैं।
बच्चे को खाने के प्रति इस तरह करें जागरूक
-बच्चों को अपने पास बिठा कर बताएं कि खाना कहां से आता है। कौन इन्हें उगाता है और कैसे ये बन कर उनकी प्लेट तक आता है।
-बच्चों को सिखाएं कि पहले प्लेट में कम मात्रा में खाना लें। उन्हें बताएं अगर और चाहिए तो फिर से खाना मिल जाएगा।
-उन्हें यह सिखाया जाना चाहिए कि अगर वे एक बार में ही ज्यादा खाना ले लेंगे तो, इसे ना खाने पर खाने की बर्बादी होगी।
-आप बच्चे के बचे हुए खाने को चाइल्ड-फ्रेंडली कंटेनर में रख दें और बाद में भूख लगने पर खिलाएं।
-उन्हें किसी ऐसी जगह लेकर जाएं जहां गरीब बच्चे रहते हैं और दिखाएं कि किस तरह छोटे-छोटे बच्चों को भी भूखा रहना पड़ता है