22 DECSUNDAY2024 11:40:39 PM
Nari

पंजाब की पहली महिला चीफ सैक्रेटरी, मां की एक बात ने दी विन्नी महाजन को नई दिशा

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 08 Mar, 2021 11:39 AM
पंजाब की पहली महिला चीफ सैक्रेटरी, मां की एक बात ने दी विन्नी महाजन को नई दिशा

समाज के विकास में महिलाओं का खास योगदान रहा है महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। इन्हीं में राज्य के मुख्य सचिव पद पर तक पहुंचकर कीर्तिमान स्थापित करने वाली विन्नी महाजन भी शामिल है। विन्नी महाजन पंजाब के चीफ सैक्रेटरी पद पर तैनात होकर कीर्तिमान रचने वाली महिला हैं। इससे पहले कभी कोई महिला अधिकारी इस पद पर नियुक्त नहीं हुई है। विन्नी जी ने लंबा समय वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दी और अपने कार्यकाल में उन्होंने कई शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पंजाब की मुख्य सचिव विन्ना महाजन जी ने पंजाब केसरी से जुड़ी प्रेणादायक बातें सांझा की।

PunjabKesari

बता दें कि 1987 बैच की आई.ए.एस. अधिकारी रहीं विन्नी महाजन पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डी.जी.पी) दिनकर गुप्ता की पत्नी हैं। डी.जी.पी दिनकर गुप्ता भी बड़े ओहदे पर हैं और वह अपने पूर्व कार्यकाल में पंजाब के पुलिस महानिदेशक रहे। उन्होंने गृह मंत्रालय के साथ आठ साल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी काम किया है।

PunjabKesari

सवालः विन्नी जी, आप उस समय आई.ए.एस. बनीं, जब लड़कियों की एजुकेशन को लेकर लोगों में इतनी जागरूकता नहीं थी, क्या कहना चाहेंगी?

जवाबः हां, उस समय लड़कियों की शिक्षा को लेकर लोगों में इतनी जागरूकत नहीं थी लेकिन मेरे घर में ऐसा नहीं था। मेरे इस मुकाम तक पहुंचने में माता-पिता का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कभी लड़की-लड़के में फर्क नहीं किया और हमें आत्मनिर्भर और स्वतंत्र रूप से खुद को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।

सवालः आपने इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएशन और एम.बी.ए.किया। सिविल सर्विस में आने का विचार कैसे आया?

दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और आई.आई.एम कोलकता से एम.बी.ए. की डिग्री हासिल की लेकिन सपना शुरू से ही पिता जी की तरह एक आई.ए.एस. अफसर बनने का रहा। मैनेंजमैंट में भी दिलचस्पी थी । इसी को ध्यान में रखते हुए सिविल सर्विस में अपना सपना पूरा करने की सोची।

PunjabKesari

सवालः पंजाब में महिलाओं की स्थिति के बारे में क्या कहना चाहेंगी?

जवाबः पंजाब में बड़ी विचित्र किस्म की स्थति है। हमारे गुरुओं ने कहा कि औरतें बराबर हैं। देखिए सिक्ख धर्म में कितनी बड़ी बात है। कितना बड़ा मैसेज है समानता का। औरतों और पुरुषों के नाम एक जैसे हैं। यह गर्व की बात है कि पंजाब की अनेक महिलाओं ने कला, सिविल सर्विसेज, सांस्कृतिक जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में नाम कमाया है। इसके बावजूद सच्चाई यह भी है कि महिलाओं को वो रुतबा नहीं मिला जो हम देखना चाहते हैं। लेकिन पंजाब सूबे में अच्छी बात यह है कि यहां की लीडरशिप महिलाओं को लेकर पॉजिटिव रही है। मुझे यकीन है कि नई पीढ़ी नई सोच लाएगी।

सवालः आपके पिता भी आई.ए.एस अफसर रहे थे। जब बेटी भी उसू ओहदे पर पहुंची तो पिता जी की पहली प्रतिक्रिया कैसी थी?

जवाबः वह खुद अफसर थे। जब उन्हें मेरे उसी ओहदे पर नियुक्त होने के बारे में पता चला, तो वह बेहद खुश थे। एक पिता के तौर पर वे गर्वान्वित महसूस कर रहे थे।

सवालः आपके हसबैंज भी एक प्रमुख ओहदे पर हैं। उनकी भी अपनी जिम्मेदारियां होंगी। ऐसे में बतौर कपल एक-दूसरे के लिए समय कैसे निकाल पाते हैं?

जवाबः हां, यह बात सही है कि हम दोनों की ही जॉब काफी बिजी रही है। हम इस तरह खुशकिस्मत रहे हैं कि हमें अपने पसंदीदा ओहदे पर सेवाएं देने का अवसर मिला। हालांकि काम की व्यस्तता के बीच हमें लंबा समय बात करने का मौका मिलता है हम एक दूसरे के साथ अच्छा समय व्यतीत करते हैं। विचार विमर्श और अहम मुद्दों पर एक दूसरे की राय भी लेते हैं। मेरे ख्याल से क्वाटिंटी टाइम की बजाए एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताना बहुत जरूरी है।

सवालः विन्नी महाजन कुकिंग में कैसी हैं? ऐसी कौन-सी डिश है, जिससे फैमिली को खुश करती हैं?

जवाबः मुझे कुकिंग नहीं आती। इस ओर मेरी ज्यादा दिलचस्पी नहीं रही। मुझे याद है कि जब मैं फैमिली के साथ अमेरिका में एक फैलोशिप के लिए गई थी। बच्चों को जब हमने बताया था कि हम अब अमेरिका में रहेंगे। वहां वह भी पढ़ेंगे, हम भी पढ़ेंगे तो उन्होंने यही प्रश्न किया कि वे खाना कैसे खाएंगे... क्योंकि मेरी खाना बनाने की स्किल काफी कमजोर थी।

सवालः आप लंबे समय से सिविल सर्विस में हैं। कोई ऐसा काम, जिसे आपने अपने लिए चुनौतूपूर्ण माना?

जवाबः मुझे तो हर दिन एक चुनौती लगता है। चुनौती इस तरह कि ईश्वर ने समाज में मुझे अच्छा अवसर प्रदान किया है कि मैं कुछ अच्छा कर सकूं। हर रोल में मुझे कुछ अच्छा कुछ बेहतर करने का अवसर मिला है। रोजाना लिस्ट बनाती हूं। अवारा कुत्ते के बच्चे को काटने से लेकर बलात्कार तक की घटनाओं तक की लिस्ट मेरे ध्यान में रहती है। ऐसे केसेज पर कैसे तुरंत एक्शन हो, न्याय मिले, रोज इतना चुनौतियां है कि हर पल मेरे लिए एक चैलेंज है।

PunjabKesari

सवालः महिला दिवस के मौके पर आपका संदेश?

जवाबः महिलाओं के लिए मैं यही कहना चाहूंगी कि अपने आप में पूर्ण विश्वास रखिए। आपको हिम्मत रखनी है। खुद पर भरोसा रखना है। परिवार के साथ-साथ समाज की जिम्मेदारी उठानी है। समाज में महिला और पुरुष गाड़ी के दो पहिए हैं। इन दोनों की बराबर हिस्सेदारी के बिना जिंदगी की गाड़ी नहीं बढ़ सकती। अगर पुरुष यह बात समझेंगे कि महिला बराबर की भागीदार है तो हम आगे तेजी से प्रगति करेंगे।

सवालः आप रोल मॉडल किसे मानती हैं?

जवाबः एक महिला के रूप में मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली छवि मेरी माता जी की रही। एक तरीके से मेरी माता एक कुशल गृहिणी है। पूरा घर वही संभालती हैं। घर-परिवार का काम-कुकिंग वह खुद करती हैं। हमारी परवरिश उन्होंने बखूबी की। भले ही वह हाऊसवाइफ रहीं लेकिन दूसरे नजरिए से देखें तो वह बहुत ही जागरूक महिला और आधुनिक विचारधारा वाली महिला रहीं। घर की जिम्मेदारी बच्चों के पालन-पोषण में उन्होंमे खुद का व्यक्तित्व कहीं खोने नहीं दिया। मैं ऐसी महिलाओं की आभारी हूं और उनका सम्मान करती हूं जो अपने परिवार व बच्चों को संभालकर परिवार को संजोकर रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। मेरे बच्चों को भी मेरी मां ने ही पाला है। मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत मानती हूं कि मेरे जीवन में उनका अहम योगदान रहा।

सवालः मां के साथ कोई यादगार पल, जिसे शेयर करना चाहेंगी...

जवाबः मां के साथ बेटियों की बहुत सार यादें जुड़ी होती हैं। इसे बयान कर पाना मुश्किल है। जब मेरे मन में आई.ए.एस बनने का विचार आया, उस समय मैं इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएशन कंप्लीट कर रही थी। मैं चाहती थी कि इस सबजैक्ट में मास्टर्स करूं। उस समय मां ने बड़ी समझदारी से मेरे साथ विचार-विमर्श किया और पूछा कि आगे मैं क्या करना चाहती हूं। किसी कारण आई.ए.एस में कामयाब नहीं पाई तो आगे का लक्ष्य क्या रहेगा? फिर दूसरे नजरिए से समझाया कि यह जरूरी नहीं कि जैसा आप सोचते हैं वैसा ही हो। मां की सूझ-बूझ और उनसे विचार-विमर्श से सहमति दिखाते हुए मैंने एम.बी.ए. करने का फैसला किया क्योंकि मुझे मैनेजमैंट रोल ही पसंद था। मैं खुद हैरान थी मैं खुद को समझदार समझती थी। लेकिन मां के बताए एक नजरिए ने मुझे प्वाइंट आऊट कर दिया। मेरे लिए उनका फैसला बहुत अच्छा रहा।

PunjabKesari

-वंदना डालिया

Related News