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देश का एक ऐसा मंदिर जहां पूजे जाते हैं चूहे, जूठा प्रसाद है भक्तों के लिए सुख का स्रोत!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 28 Sep, 2024 02:23 PM
देश का एक ऐसा मंदिर जहां पूजे जाते हैं चूहे, जूठा प्रसाद है भक्तों के लिए सुख का स्रोत!

नारी डेस्क: राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर एक अद्वितीय तीर्थ स्थल है, जहां चूहों की पूजा की जाती है। यहां हजारों की संख्या में चूहे मौजूद हैं, जिन्हें भक्तजन भगवान का रूप मानते हैं। इस मंदिर में चूहों का जूठा प्रसाद भी भक्त खुशी से ग्रहण करते हैं। आइए जानते हैं इस रहस्यमय मंदिर की कहानी और चूहों के प्रति श्रद्धा के पीछे की वजह।

 मंदिर का रहस्य चूहों की संख्या

करनी माता मंदिर में 25,000 से ज्यादा चूहे हैं, जो स्वतंत्र रूप से मंदिर परिसर में घूमते हैं। इनमें अधिकतर काले और भूरे रंग के चूहे होते हैं, लेकिन कभी-कभी सफेद चूहे भी नजर आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सफेद चूहों का दिखना बहुत शुभ माना जाता है और यह संकेत है कि भक्त की मनोकामना जल्द ही पूरी हो सकती है।

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चूहों के प्रति सम्मान पैर घसीटकर चलना

मंदिर में आने वाले भक्त चूहों के प्रति अपने सम्मान को दर्शाने के लिए पैर घसीटकर चलते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि गलती से भी चूहों के ऊपर किसी का पैर न पड़ जाए। मान्यता है कि यदि किसी भक्त के पैर के नीचे चूहा आ जाता है, तो उसे पाप लगता है। यही वजह है कि भक्त इस अनोखे तरीके से चलते हैं।

चूहों को माना जाता है माता की संतान

करणी माता मंदिर में मौजूद सफेद चूहों को माता करणी के पुत्र माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक देवी थी, जिनका नाम करणी था। करणी का एक सौतेला बेटा था, जिसका नाम लक्ष्मण था। एक दिन लक्ष्मण सरोवर से पानी निकालने की कोशिश कर रहा था। लेकिन वो सरोवर के पानी में बह गया और उसकी मृत्यु हो गई। जब ये बात माता करणी को पता चली, तो वो बहुत दुखी हुई और उन्होंने यम देव से प्रार्थना कि, वो उनको पुत्र को वापस कर दें।

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माता करणी की विनती पर यम देव ने लक्ष्मण और उनके सभी बच्चों को चूहों के रूप में पुनः जीवित कर दिया। इसी वजह से यहां पर चूहों की पूजा माता करणी के संतान के रूप में की जाती है।

 माता करणी का आशीर्वाद चूहों की पूजा

करणी माता को देवी दुर्गा का एक स्वरूप माना जाता है, जिन्होंने धरती पर जन कल्याण के लिए अवतार लिया। यहां के चूहों को माता करणी के संतान के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, माता करणी का सौतेला बेटा लक्ष्मण एक दिन सरोवर से पानी निकालते समय बह गया और उसकी मृत्यु हो गई। माता करणी ने यम देव से प्रार्थना की कि उनके पुत्र को वापस किया जाए, जिसके बाद यम देव ने लक्ष्मण और उनके सभी बच्चों को चूहों के रूप में पुनः जीवित कर दिया।

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मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी की देन

करणी माता मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। यह मंदिर संगमरमर के पत्थर से बना है, जबकि मुख्य दरवाजा चांदी से निर्मित है। मंदिर में माता करणी की मनमोहक मूर्ति है, जिसके ऊपर एक सोने का छत्र है। माता करणी के अलावा, यहां देवी करणी की दो बहनों की भी मूर्तियां स्थापित हैं, जिनकी पूजा प्रतिदिन की जाती है।

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करणी माता मंदिर केवल चूहों के लिए पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि यह श्रद्धा, विश्वास और अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि माता का आशीर्वाद उन्हें सुख और समृद्धि प्रदान करेगा। इस मंदिर में चूहों की पूजा करते हुए भक्तों की आस्था और श्रद्धा का स्तर अनूठा है, जो इसे भारत के सबसे अनोखे मंदिरों में से एक बनाता है।


 


 

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