कोरोना वायरस के खिलाफ भारत में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चल रहा है, जिसके तहद हर व्यक्ति को वैक्सीन की 2-2 डोज लगाई जा रही है। मगर, कुछ लोग सोच रहे हैं कि कोविशील्ड की एक डोज ही काफी हैं। आइए आपको बताते हैं कि क्या एक्सपर्ट के मुताबिक, कोविशील्ड की एक डोज काफी है या नहीं
क्या कोविशील्क की एक डोज काफी?
एक्सपर्ट के मुताबिक, कोविशील्ड का एक डोज लेना ही काफी हैं। जनवरी के बाद किए गए टीकाकरण के आंकड़ों से पता चलता है कि इसकी एक डोज भी कोरोना से बचाने में कारगार है। इसकी सिंगल डोज लेने से अगर आप संक्रमित होते भी हैं तो हॉस्पिटल जाने की नौबत नहीं आएगी क्योंकि तब कोरोना गंभीर रुप से आपको संक्रमित नहीं कर पाएगा।
सिंगल डोज देने का क्या कारण?
एक्सपर्ट का कहना है कि इसकी सिंगल डोज भी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काफी है। वहीं, जेऐंडजे और स्पूतनिक-वी जैसी लाइट वन शॉट वैक्सीन भी कोविशील्ड की तरह ही इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार हैं। हालांकि यूके में 3 महीने के अंतराल में वैक्सीन की 2 डोज दी जा रही है, जो संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने से बचाने में कारगार हैं।
1 डोज से इम्यूनिटी कितना टिकाऊ?
रिपोर्ट के मुताबिक, वायरल वेक्टर वैक्सीन का 1 शॉट से बनी इम्यूनिटी 6 महीने के बाद कम होने लगती है, जिससे दूसरे शॉट की जरूर पड़ती है। यह वजह है कि कई देशों में वैक्सीन के 2 शॉट लगाए जा रहे हैं। वहीं, स्पूतनिक-V की 1 डोज से भी 3-4 महीने तक ही सुरक्षा मिलेगी लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि इससे 3 महीने बाद इम्यूनिटी नहीं रहेगी। जबकि इस मामले में कोविशील्ड की 1 डोज का आंकड़ा स्पष्ट नहीं है।
क्या कहता है WHO?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, उसी वैक्सीन को अच्छा माना जाएगा जिसका एफिकेसी रेट 50% होगा। यूके के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना डेल्टा वेरियेंट (B.1.617.2) के खिलाफ कोविशील्ड की 1 डोज 33% ही कारगार है। हालांकि एक शॉट लेने वाले लोगों को अगर कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अस्पताल जाना भी पड़ता है तो यह चिंता का विषय नहीं है।
कोविशील्ड के 1 डोज लेना बिल्कुल गलत
पोलार्ड का कहना है कि कोविशील्ड की 2 लेना ही बेहतर है क्योंकि इससे इंफेक्शन की दर कम होती है और म्यूटेशन का खतरा भी घटता है।