पुरुष के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर चलने के बावजूद आज भी महिला अपने ही घर में बदसलूकी की शिकार हैं। domestic violence यानि घरेलू हिंसा आज भी उतनी है जितनी पहले थी क्योंकि इसकी शुरुआत कोई पराया नहीं बल्कि कोई अपना ही करता है। परिवार वाले शुरु से ही उसे बर्दाश्त करने, कम बोलने और पति के हर सही गलत फैसले को मानने की हिदायत देते हैं। ऐसी ही स्टोरी है Amrita की...
जी हां, हम बात कर रहे हैं तापसी पन्नू की आने वाली फिल्म 'थप्पड़' की जो घरेलू हिंसा पर ही आधारित है। फिल्म का ट्रेलर लांच तेजी से वायरल हो रहा है। कहानी कुछ इस तरह है कि पति पत्नी नार्मल प्यार से जिंदगी जी रहे होते हैं और एक दिन काम के प्रेशर में फंसा पति ऑफिशियल पार्टी में ही पत्नी को एक सबके सामने तमाचा जड़ देता है।
जिसके बाद शुरु होती हैं अमृता की आत्म-सम्मान की लड़ाई। वह पति से अलग होने का फैसला लेती हैं और तलाक फाइल कर देती है हालांकि उसके अपने परिवारवालों से लेकर ससुराल तक , यहां तक की दोस्त उन्हें यह बात कहते हैं ... कि बस एक थप्पड़ ही तो है...
जिस पर अमृता का जवाब आता है ... उसने मुझे मारा पहली बार,,,लेकिन नहीं मार सकता।
साथ ही अमृता ने कहा कि एक थप्पड़ ने उन्हें याद करवाया कि वह पीछे पति की कितनी गलतियों को अनदेखा करती आई थी। यह सिर्फ अमृता की कहानी नहीं है बल्कि हर महिला की कहानी हैं जो रोज यह अत्याचार चुपचाप सहन कर रही हैं क्योंकि औरतों पर ही चुप रहने का दबाव बनाया जाता है।
लेकिन आप ही बताए कि प्यार में पति की मार जायज है,, अगर ऐसा पत्नी करे तो ...!
एक औरत अपना सारा जीवन परिवार को समर्पित कर देती है, और उसके बदले वह सिर्फ अपने लिए सम्मान चाहती हैं। पत्नी ही नहीं, पति का भी यह कर्तव्य है कि वह उसकी भावनाओं को समझें।
मां-बाप भी अपनी बच्चियों को सब चुपचाप सहन करने की बजाए उन्हें आत्म निर्भर बनाए ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। वहीं घरेलू हिंसा को लेकर एक महिला दूसरी महिला की स्पोर्ट में खड़ी होगी तो पुरुष ऐसे कदम उठाने से पहले जरूर सोचेंगे फिर वह हिंसा घरेलू ही क्यों ना हो।
वहीं चुपचाप यह सब अत्याचार सहने वाली महिलाओं के लिए भी एक उदाहरण है क्योंकि जुल्म करना अपराध है तो सहना भी अपराध है। खुद को कमजोर नहीं आत्म निर्भर बनाएं।
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