हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरप केस के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी। आज भी निर्भया गैंगरेप के बारे में सोचकर लोगों की रूह कांप उठती है। दोषियों को सजा दिलाने के लिए निर्भया गैंगरेप केस के जांच अधिकारी (आईओ) इंस्पेक्टर अनिल शर्मा ने कोई भी सुनवाई मिस नहीं की। अनिल 500 से ज्यादा कोर्ट की सुनवाई में पेश हुए है। इसके बीच उनके पिता और बड़े भाई की मौत भी हुई लेकिन फिर भी उन्होंने कोर्ट जाना बंद नहीं किया।
अनिल शर्मा ने कहा, 'वो रात मैं कैसे भूल सकता हूं। 6 साल बीत गए लेकिन अभी भी लगता है जैसे कल की ही बात हो। जब 16 दिसंबर की रात 1:13 बजे घटना की कॉल आई थी। मैं अपनी टीम के साथ तुरंत इस मामले में लग गया था। और आज जब सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है तो मैं इस खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकता।'
उन्होंने बताया कि उस वक्त वह वसंत विहार थाने के एसएचओ हुआ करते थे। उन्हें उस रात फोन आया कि महिपालपुर फ्लाइओवर के नीचे होटल दिल्ली-36 के पास एक लड़का-लड़की नग्न हालात में पड़े हैं। मैं अपनी टीम के साथ पहुंचा और देखा कि निर्भया के शरीर पर दांत काटने के इतने निशान थे मानो जानवरों के बीच रही हो वो।
17 दिनों तक किया दिन-रात काम
अनिल शर्मा ने बताया कि 17 दिनों तक दिन-रात इस केस पर काम किया गया था। यह मामला अपने आप में अलग था। 17 दिनों में शायद ही कोई एेसी रात हो जब उनकी टीम 2 या 3 घंटे से अधिक सोए हो। सुबह 6 बजे से इस मामले में काम शुरु हो जाता था और रात को तीन बजे तक काम किया जाता था। उनका मकसद था कि इस केस में आरोपियों के खिलाफ कोई भी सबूत न छोड़ा जाए और इसमें वह कामयाब भी हुए।
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