सावन के पवित्र महीने में शिव पूजा का विशेष महत्व है। वहीं जैसे की सभी जानते हैं कि भगवान शिव ने अपने गले में हार की तरह नाग को धारण कर रखा है। ऐसे में सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने के सर्पदोष व नाग भय से छुटकारा मिलता है। मगर क्या आप जानते हैं कि देशभर में ऐसे कई शिव मंदिर है जहां पर नाग पंचमी के पर्व पर खुद नाग-नागिन का जोड़ा पहुंचकर शिव जी दर्शन पर उन्हें स्पर्श करते हैं। साथ ही वे किसी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। ऐसे में शिव जी दर्शन व इन जोड़ों को देखने के लिए भारी संख्या में लोग मंदिर में जाते हैं। चलिए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...
उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास बोधेश्वर महादेव
उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास बोधेश्वर महादेव शिव मंदिर स्थापित है। कहा जाता है कि इस मंदिर की रखवाली नाग-नागिग द्वारा की जाती है। लोगों का कहनाहै कि मंदिर में नाग-नागिन किसी भी रूप में आकर दरवाजे के पास बैठकर रखवाली करते हैं। ऐसे में इस मंदिर में सांपों को मेला लग जाता है। कहा जाता है कि शिव जी के पंचमुखी शिवलिंग मंदिर में आधि रात को दर्जनों सांप आकर शिवलिंग को स्पर्श को स्पर्श करके वापिस जंगल चले जाते हैं। मान्यता है कि इस शिवलिंग को सच्चे मन से स्पर्श करने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
मध्य प्रदेश में इंदौर के पास देवगुराडिया पहाड़ी पर बना शिव मंदिर
मध्य प्रदेश में इंदौर के पास देवगुराडिया पहाड़ी पर करीब 1000 साल पुराना शिव मंदिर स्थापित है। इसका नाम देवगुराडिया मंदिर है। कहा जाता है कि इस प्राचीन मंदिर में स्थापित नंदी की मूर्ति के मुख्य से हर साल सावन मास में प्राकृतिक तौर से जल निकलता है। फिर वहीं जल शिव जी के ऊपर गिरता है। इसी मंदिर में रहने वाला नाग-नागिन का जोड़ा रोज शिवलिंग के चारों ओर परिक्रमा करता है। मगर वे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। भगवान शिव के इस मंदिर में बने कुंड को देखने व जल चढ़ाने के लिए हर साल भारी संख्या में भक्त आते हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थापित लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में करीब 300 साल पुराना लक्ष्मणेश्वर महादेव शिव मंदिर है। यहां पर नाग-नागिन का जोड़ा पंचमुखी शिवलिंग की परिक्रमा करने आते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग के दर्शन करने व मन्नत मांगने से निसंतान दंपति को संतान प्राप्ति होती है। इसके साथ ही कुंडली के सभी दोषों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही कहा जाता है कि मंदिर में करीब 200 साल की उम्र के कछुए भी रहते हैं।