निर्जला एकादशी का व्रत हर साल ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी की तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान के साथ रखने से बाकी एकादशियों का पुण्य भी मिल जाता है। परंतु इस बार के व्रत को लेकर कई लोग असमंजस में हैं कि व्रत 10 जून को है या फिर 11 को? तो चलिए आपको बताते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत कब है और पूजा करने की क्या विधि है...
कब है व्रत?
हिंदू पंचागों के अनुसार, 10 जून को सुबह 7.27 से लेकर अगले दिन यानि की 11 जून प्रात: 5.46 बजे तक पूजा का मुहूर्त है। ऐसी परिस्थिति में सूर्योदय के समय में एकादशी तिथि 11 जून को प्राप्त हो रही है। इसके अनुसार, आपको व्रत सिर्फ एक दिन करना चाहिए। परंतु इस बार व्रत दो दिन का है। आप व्रत दोनों दिन रख सकते हैं।
क्या है एकादशी के व्रत का महत्व?
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इस व्रत को रखने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा इसे रखने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। शास्त्रों के मुताबिक, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
इन नियमों का जरुर करें पालन
इस व्रत के दिन पानी का सेवन नहीं किया जाता है। व्रत को पूरा करने के बाद ही आप जल का सेवन कर सकते हैं। इस दिन जल को त्याग करने का नियम है। इसी कारण इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इसके अलावा व्रत वाले दिन आप वाद विवाद और झगड़ों से भी दूर रहें। अपने मन में कोई भी बुरा विचार न रखें। व्रत वाले दिन बेड या फिर पलंग पर सोने की जगह नीचे जमीन पर आराम करें।