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Salute! परिवार के खिलाफ जाकर पढ़ाई के लिए छोड़ दिया था घर, आज कड़ी मेहनत से IAS बनी उम्‍मुल

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 07 Dec, 2020 01:52 PM
Salute! परिवार के खिलाफ जाकर पढ़ाई के लिए छोड़ दिया था घर, आज कड़ी मेहनत से IAS बनी उम्‍मुल

कहते हैं जब भी आप अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत की राह पर निकलते हैं तो बहुत से लोग तरह-तरह की बातें बनाते हैं  लेकिन सफलता सिर्फ उन्हें मिलती है जो लोगों की बातों को खुद पर हावी नहीं होने देते हैं। खासकर बात जब लड़कियों की आती हैं तो समाज शादी की बातें करना शुरू कर देता है। लोगों की सोच आज भी यही है कि लड़की कमाकर क्या करेगी आखिर करनी तो उसे शादी ही है। वहीं अगर कोई व्यक्ति शरीर से अपंग हो तो लोगों की बातें और बड़ जाती हैं। लोग कहीं न कहीं इनका मजाक उड़ाने लगते हैं और अलग नजर से देखना शुरू कर देते हैं और ऐसा ही कुछ हुआ था आईएएस उम्‍मुल खेर के साथ जो विकलांग पैदा हुई और इस विकलांगता को अपनी ताकत बनाते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गई। उम्‍मुल को न सिर्फ शारीरिक तौर पर तो दर्द सहने ही पड़े लेकिन समाज ने भी उन्हें कम दर्द नहीं दिया। तो आईए आपको बताते हैं आईएएस उम्‍मुल खेर की सक्सेस स्टोरी। 

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राजस्थान की रहने वाली उम्मुल 

खबरों की मानें तो उम्मुल का जन्म राजस्थान के पाली मारवाड़ में हुआ। उम्मुल अजैले बोन डिसऑर्डर बीमारी के साथ पैदा हुई थी जो कि एक ऐसा बॉन डिसऑर्डर जो बच्‍चे की हड्डियां कमज़ोर कर देता है। हड्डियां कमज़ोर हो जाने की वजह से जब बच्चा गिर जाता है तो फ्रैक्चर होने की ज्यादा संभावना रहती है। इस वजह से 28 साल की उम्र में उम्मुल को 15 से भी ज्यादा बार फ्रैक्चर का सामना करना पड़ा है।

झुग्‍गी में बीता बचपन

उम्मुल के घर की आर्थिक हालत इतनी ठीक नहीं थी वह झुग्गियों में रहती थी। लेकिन उम्मुल का एक ही सपना था कि वह खूब पड़े इसके लिए पिता ने सड़कों पर मूंगफली की रेहड़ी भी लगाई। 

शिक्षा जारी रखने के लिए पढ़ाई ट्यूशन 

उम्मुल के घर की आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण परिवार वाले नहीं चाहते थे कि वह आगे पढ़े। लेकिन उम्मुल ने परिवार के लिए अपने सपनों की बलिदानी नहीं दी। खुद को सपने को पूरा करने के लिए और आगे शिक्षा ग्रहण करने के लिए उम्मुल ने आसपास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया जिसे उन्हें एक बच्चे से 50 से 60 रूपए मिलते थे।

मां का उठ गया साया 

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इसके बाद उम्मुल की जिंदगी में एक ऐसा दुख आया जिसे सहन करना हर किसी के लिए मुश्किल होता है। दरअसल उम्मुल की मां का निधन हो गया। जिसके बाद पिता ने दूसरी शादी की लेकिन सौतेली मां के साथ उम्मुल के संबंध अच्छे नहीं थे। उम्मुल पढ़ना चाहती थी लेकिन परिवार वालों के पास पैसे नहीं थे और पिता के पास भी नौकरी नहीं थी जिसके कारण घर में लड़ाई बढ़ती जा रही थी। 

घर से हो गई अलग 

इसके बाद उम्मुल ने अपनी पढ़ाई के लिए घर को छोड़ दिया। तब वह 9वीं क्लास में थी। हालांकि इस उम्र में घर से दूर रहना हर किसी के लिए मुश्किल है। हालांकि उम्मुल के हौसला थमा नहीं। उम्मुल ने अपने पढ़ाई के लिए किराए पर एक कमरा लिया और वहां हर रोज वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती। 

16 बार फ्रैक्चर और 8 बार हुआ ऑपरेशन

2012 में हुए एक एक्सीडेंट में उम्मुल घायल हुईं और व्हीलचेयर पर आ गईं। इतना ही नहीं 28 साल की उम्र में 16 बार फ्रैक्चर और 8 बार ऑपरेशन झेल चुकी हैं लेकिन वह इससे घबराई नहीं बल्कि अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं।

एक्सीडेंट के बाद ट्यूशन छूट गई

एक्सीडेंट के बाद उम्मुल का ट्यूशन पढ़ाना भी छूट गया वह एक तरह से बिस्तर पर आ गई लेकिन वो इससे घबराई नहीं। इसके बाद उम्मुल ने जेएनयू के इंटरनेशनल स्टडीज स्कूल से पहले एमए किया और फिर इसी यूनिवर्सिटी में एमफिल/पीएचडी कोर्स में एडमिशन ले लिया।

2013 में उम्मुल ने जेआरएफ क्रैक किया

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उम्मुल के जज्बे कभी हार मानने वालों में से नहीं थे। यही कारण रहा कि इस दर्द में भी उन्होंने 2013 में जेआरएफ क्रैक किया। जिसके बाद उन्हें 25,000 रुपए प्रति महीना मिलने लगा। यहीं से एमफिल के बाद वो पीएचडी करने लगीं और इसी दौरान उन्होंने आईएएस भी क्रैक किया।

2016 में पहले प्रयास में ही यूपीएससी में पाया 420वां रैक

इतना ही नहीं इसके साथ ही उम्मुल ने अपनी कड़ी मेहनत और लग्न से खुद को और साबित किया और 2016 में पहले प्रयास में ही यूपीएससी में 420वां रैक पाने वाली कैंडिडेट बनीं।

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