आजकल ज्यादा पेरेंट्स वर्किंग होते हैं। ऐसे में वह बच्चों को ज्यादा समय भी नहीं दे पाते। यदि बच्चे जिद्द करें तो वह उनके हाथों में मोबाइल फोन पकड़ा देते हैं। लेकिन फोन पर ज्यादा समय बिताने के कारण बच्चों की आंखों के साथ-साथ उनके शरीर को भी नुकसान हो सकता है। एम्स की गाइडलांइस की मानें तो एक दिन में मैक्सिमम दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं होना चाहिए। आई एक्सपर्ट्स का कहना है कि जितनी छोटी स्क्रीन होगी उतनी ही समस्या बढ़ेगी। बड़ी स्क्रीन की जगह मोबाइल पर काम करने से आंखों पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है। इसके अलावा भी ज्यादा देर स्क्रीन देखने से बच्चों को और भी कई नुकसान हो सकते हैं। आइए जानते हैं ...
आंखे होगी खराब
लगातार स्क्रीन देखने के कारण मायोपिया में आंख की पुतली का साइड बढ़ जाता है जिसके कारण से प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता है बल्कि इससे थोड़ा अलग हटकर बनता है। ऐसी स्थिति में दूर की चीजें धुधंली दिखती हैं लेकिन पास की चीजें ठीक दिखती हैं। ऐसे में जो बच्चे स्क्रीन पर सारा दिन समय बिताते हैं उन्हें चश्मा लगाना पड़ता है।
नहीं हो पाता दिमाग का विकास
छोटे बच्चों को शांत करने के लिए पेरेंट्स अक्सर उनके हाथ में फोन दे देते हैं, ऐसे में बच्चा शांत होकर स्क्रीन के सामने घंटों तक समय बिताता है। छोटी उम्र में मोबाइल फोन में लगने से बच्चे के दिमाग का विकास नहीं हो पाता और वह समय पर बोलना भी नहीं सीख पाते।
सिरदर्द, नींद न आने जैसी समस्याएं
स्क्रीन देखने के दौरान बच्चे हो या फिर बड़े आंखे कम ही झपकाते हैं। ऐसे में आंखों में रुखापन हो जाता है और बच्चे को थकान महसूस होने लगती है। इसके कारण कम उम्र में ही बच्चों को सिरदर्द की समस्या, नींद न आने की समस्या, हार्मोन्स में असंतुलन की समस्या भी हो सकती है। हार्मोन्स में असंतुलन होने के कारण नींद में कमी धीरे-धीरे बच्चों को दिमागी रुप से कमजोर बनाता है और शरीर का वजन भी बढ़ सकता है।
पेरेंट्स ऐसे छुड़वाएं बच्चों की आदत
. 18 महीने यानी की डेढ़ साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्क्रीन वाले गैजेट का इस्तेमाल न करने दें।
. इसके अलावा यदि आप उन्हें फोन देना चाहते हैं तो एक निश्चित टाइम रखें।
. बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें।
. मोबाइल, टैबलेट या टीवी का इस्तेमाल देर रात तक बेडरुम में बिल्कुल भी न रखें।
. बच्चों के मोबाइल फोन रात होने पर अपने कमरे में ही रखें।