नारी डेस्क: छोटे बच्चों की देखभाल करना बेहद जरूरी होता है। बच्चे अक्सर शुरुआत के कुछ साल तक रोते हैं। यह उनका स्वाभाविक नेचर है। कई बार बच्चों के रोने की आवाज से चिड़चिड़ा के लोग उन्हें पेसिफायर दे देते हैं। ताकि कुछ समय के लिए बच्चा चुप रहे। पेसिफायर, जिसे हम आमतौर पर सुकुन देने वाली निप्पल (निपल) या डमी के नाम से भी जानते हैं, छोटे बच्चों को शांति देने और उनके रोने को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है। पेसिफायर को आमतौर पर बच्चों के मुंह में अंगूठा डालने की आदत को छुड़ाए जाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। क्या आप भी बच्चों को पेसिफायर देते हैं। हालांकि, पेसिफायर का उपयोग बच्चों के लिए फायदेमंद लग सकता है, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दांतों के विकास में समस्या (Dental Problems)
पेसिफायर का अत्यधिक उपयोग बच्चों के दांतों के विकास में समस्याएं पैदा कर सकता है। जब बच्चा पेसिफायर का लगातार उपयोग करता है, तो यह उनके मुंह के अंदर दबाव डालता है, जिससे दांतों की स्थिति में बदलाव हो सकता है। इसका असर स्थायी दांतों पर भी हो सकता है, जिससे बाद में बच्चों को दांतों के खराब होने या गलत स्थिति में दांत उगने की समस्या हो सकती है।
क्या हो सकता है?
1. दांतों का टेढ़ा होना
2. जबड़े की संरचना में बदलाव आना
3. बायाँ (overbite) या दाएं (underbite) होने की संभावना बढ़ना
मां का दूध पीने में समस्या (Difficulty in Drinking Breast Milk)
अगर आप बच्चों को बहुत जल्दी पेसिफायर दे रहे हैं तो इससे बच्चे को पेसिफायर और निप्पल को पहचानने में कंफ्यूजन हो सकती है।इससे उनके दूध पीने की प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है। पेसिफायर का उपयोग बच्चों को असली नर्सिंग की तुलना में एक आसान तरीका देता है, लेकिन इससे बच्चों की भूख और खाने की आदतें बिगड़ सकती हैं। इससे बच्चा मां का दूध पीने में नखरे करता है। जिसके चलते उन्हें बोतल वाला दूध पिलाया जाता है।
क्या हो सकता है?
1. माँ के दूध से दूरी
2. सही पोषण की कमी
3. कम दूध पीने से बच्चे की वृद्धि में रुकावट
बोलने की क्षमता पर असर (Effect on speaking ability)
पेसिफायर का अधिक उपयोग बच्चों की बोलने की क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। जब बच्चा लंबे समय तक पेसिफायर का उपयोग करता है, तो उसकी जीभ की स्थिति और मुंह की मांसपेशियाँ सामान्य रूप से नहीं विकसित हो पाती हैं। इससे भविष्य में बच्चे को बोलने में दिक्कत हो सकती है, जैसे कि शब्दों का ठीक से उच्चारण नहीं होना।
क्या हो सकता है?
1. उच्चारण की गलतियां
2. भाषा विकास में देरी
3. मांसपेशियों का सही तरीके से काम न करना
आध्यात्मिक और मानसिक विकास में असर (Impact on spiritual and mental development)
पेसिफायर का बार-बार उपयोग बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। छोटे बच्चे रोने या बेचैनी को शांत करने के लिए पेसिफायर का उपयोग करते हैं, लेकिन यह उन्हें आत्म-संयम और स्वाभाविक रूप से खुद को शांत करने की क्षमता को कम कर देता है। इसके अलावा, पेसिफायर का उपयोग बच्चों को बाहरी मदद पर निर्भर बनाता है, जिससे वे अपनी भावनाओं को समझने और नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हो पाते।
क्या हो सकता है?
1. आत्म-संयम में कमी
2. बच्चों की स्वाभाविक भावनाओं की समझ में कमी
3. भविष्य में भावनात्मक असंतुलन का खतरा
साफ-सफाई और संक्रमण का खतरा
पेसिफायर को बार-बार बच्चे के मुंह में डालना और निकालना संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है। यदि पेसिफायर की सफाई ठीक से न की जाए, तो यह बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं का घर बन सकता है, जो बच्चे की सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसके अलावा, यदि बच्चा पेसिफायर को गंदा हाथों से पकड़ता है, तो इससे शारीरिक संक्रमण हो सकता है, जैसे कि गले में इंफेक्शन, दस्त, या मुंह के रोग।
क्या हो सकता है?
1. संक्रमण का खतरा
2. दांतों और मसूड़ों में सूजन
3. गंदगी के कारण एलर्जी या अन्य बीमारियाँ
हालांकि पेसिफायर का उपयोग बच्चों को अस्थायी रूप से शांत कर सकता है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभाव बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता बच्चों को स्वाभाविक रूप से शांत करने के तरीके सिखाएं, जैसे कि गाने, थपकियाँ देना या माता-पिता के साथ समय बिताना। यदि पेसिफायर का उपयोग करना आवश्यक हो, तो इसका प्रयोग सीमित और नियंत्रित रूप में करना चाहिए, और इसे जल्दी हटाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि बच्चे का विकास सही तरीके से हो सके।