वन रेस दौड़ जालंधर की अद्भूत विरासत को समर्पित है। हाफ मैराथन कार्यक्रम शहर में विश्व स्तरीय खेल आयोजन लाने के लिए सबसे तेजी से बढ़ते वित्तीय संस्थानों के रुप में से एक माना जाता है। भारत में सबसे बड़े और पसंदीदा मल्टी सिटी रनिंग इवेंट्स में से एक वन रेस का जालंधर प्रवेश समावेशिता और व्यक्तिगत वीरता को बढ़ावा देता है। वन रेस और सोच नाम की संस्था ने मिलकर मैराथन का आयोजन किया था। इस मैराथन में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों ने भाग लिया।
गुरु गोविंद सिंह स्टेडियम में आयोजित हुई मैराथन रेस
हाफ मैराथन रेस 10 किलोमीटर और 5 किलोमीटर 8 अक्टूबर को जालंधर के फेमस गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में आयोजित की गई थी। इस दौड़ में नॉर्थ इंडिया के 3500 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। पिछले साल से प्रतिभागियों की गिनती मैराथान में दोगुनी हुएई है। इस मैराथान में जितने वाले विजेताओं को 4,50,000 रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा जो पुरुष या महिला मैराथान में जीते उन्हें 51,000 रुपये की धनराशि ईनाम के रुप में दी गई। समावेशिता और एकता के अपने मिशन को ध्यान में रखने हुए कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक ऑटिस्टिक पीड़ित बच्चों को दौड़ में भाग लेने के लिए प्रशिक्षित वन रेस हाफ मैराथान का आयोजन किया था।
ऑटिज्म बच्चों को ट्रेनिंग देती है सोच
इस रेस में ऑटिजम से पीड़ित बच्चों ने भाग लिया था। सोच सोच की स्थापना 2008 में हुई थी और यह पंजाब का ऐसा पहला एनजीओ है जो बच्चों और माता-पिता के लिए ऑटिज्म ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित करता है। इसने भारत, एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इटली, ब्रिटेन में 600 से ज्यादा परिवारों को ट्रेनिंग दी है। इस समावेश और संवेदनशील समाज एनजीओ के लिए नंबर 1 लक्ष्य रहा है। इस मैराथन का मुख्य उद्देश्य वास्तव में समावेशी दौड़ है ताकि हर ऑटिजम पीड़ित बच्चे को समाज से अलग न महसूस हो और वह मैराथान का हिस्सा बनकर उसे एंजॉय कर सकें।