सफलता पाने के लिए और जिंदगी में नाम कमाने के लिए आपका शारीरिक रूप से ताकतवर होना जरूरी है। आपका मानसिक रूप से ताकतवर हो और जिंदगी में हमेशा आपके हौसले बुलंद होने चाहिए। ताकि समाज की सारी नेगिटिव बातें आप पर असर न करें और आपके राह में कोई भी मुश्किल न ला पाए। अगर आप खुद पॉजिटिव रहें और लोगों की बातों की तरफ ध्यान न दें तो सफलता आपको जरूर मिलती है क्योंकि भूलिए मत बातें हमेशा उन्हीं की होती हैं जिनमें कोई बात होती है।
आज हम आपको एक ऐसी ही महिला की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बुलंद हौसलों के कारण ही आज सफलता उनके कदमों में है। लाइफ में कईं रूकावटें भी देखीं, एक पैर भी खो दिया लेकिन वो न हारने वाला हौसला हमेशा कायम रखा। तो चलिए आपको बतातें हैं इस महिला की कहानी।
एक्सीडेंट में खोया पैर
दरअसल हम जिस जांबाज महिला की बात कर रहे हैं उसका नाम है गुई युना (Gui Yuna) जो चीन की रहने वाली है। गुई युना का एक पैर नहीं है। खबरों की मानें तो स्कूल से आते हुए युना का एक्सीडेंट हो गया जिसमें उसका एक पैर खो गया। युना चाहे दूसरों से कमजोर हो गई हो लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
लंगड़ी कहकर चिढ़ाते थे लोग
एक्सीडेंट में पैर खोने का बाद लोग गुई युना को काफी नीचा भी दिखाते थे। इतना ही नहीं लोग तो उन्हें लंगड़ी तक पुकारते थे लेकिन इसके बावजदू उन्होंने हिम्मत को हारने नहीं दिया और अपने सपने की ओर बढ़ती चली गई।
सफर नहीं था आसान
आपको बता दें कि गुई बॉडीबिल्डिंग के क्षेत्र में अपना खूब नाम कमा रही हैं। वो लाइन जिसमें आपका शारीरिक रूप से स्ट्रांग होना जरूरी होता है लेकिन गुई युना को बेशक एक पैर नहीं है लेकिन फिर भी वह इस लाइन में धमाल मचा रही हैं। आपको बता दें कि गुई ने पहली बार में ही मेडल जीतकर एक मिसाल कायम कर दी है। हाल ही में गुई ने आईडब्लूएफ बीजिंग 2020 में हिस्सा लिया और हाई हील जूते में स्टेज पर बैसाखी की मदद से चलते हुए देखी गईं गुई । बता दें कि साल 2004 में एथेंस पैराओलंपिक्स में हिस्सा लिया था और इसके बाद गुई ने वेट लिफ्टिंग में हाथ आजमाया और पहली ही बार में गुई ने जीत अपने नाम कर ली। लेकिन गुई के लिए यह सफर आसान नहीं था। जीत को अपने कदमों में देखकर गुई ने अपने सफर को याद किया और बताया कि कैसे उनके क्लासमेट उन्हें कुर्सी से फेंक देते थे और उन्हें चिढ़ाते भी थे।
मां ने की परवरिश
गुई के जन्म से पहल ही उनके पिता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। जिसके बाद उनकी मां ने अकेले ही उनकी परवरिश की। 7 साल की उम्र में पैर खोने के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बाधाओं को पार करते हुए एथलेटिक्स में करियर बनाया। 2001 में गुई ने लॉन्ग जंप और तीरंदाजी में हिस्सा लिया और सफलता अपने नाम की इसके बाद वो 2008 के बीजिंग समर गेम्स और पैरालिंपिक में वो टॉर्च रिले का हिस्सा बनीं।
नहीं मिली कहीं नौकरी
हालांकि नौकरी के लिए भी गुई ने 20 कंपनियों में अप्लाई किया लेकिन इसके लिए सबने ही ये कहा कि वो उनकी इमेज से मैच नहीं खाती। इस पर गुई कहती हैं, ‘ मैं उन लोगों से क्या ही कहूं। उनके कारण मुझे मुश्किल दौर देखना पड़ा। इसी वजह से मैं वो बन पाई जो मैं आज हूं।’ गुई की मानें तो हार मान लेने से कभी आप आगे नहीं बढ़ पाते। आज वो खुद को किसी से काम नहीं आंकती हैं बल्कि वह दूसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।