भारत में बढ़ती कोरोना वायरस के मरीजों की गिनती की एक वजह टेस्ट में देरी भी बताई जा रही थी। इसी सब के बीच पुणे स्थित मायलैब ने एक ऐसी किट का निर्माण किया जिसके बाद एक दिन में 1 लैब द्वारा लगभग 100 मरीजों के खून की जांच की जाएगी।
किसने तैयार की यह मशीन?
पुणे स्थित यह लैब भारत की पहली ऐसी लैब है जिसने महज 3 हफ्तों में इस टेस्टिंग मशीन का आविष्कार किया। जल्द ही इस मशीन के दिल्ली, मुंबई, गोवा और बेंगलुरू के 150 लैब्स में पहुंचाया जाएगा।
कंपनी की सुने तो इस किट की कीमत विदेशी किट से कहीं कम है। पुणे की इसी लैब ने HIV, हैपेटाइटिस B और C की जांच करने के लिए सबसे पहले किट
तैयार की थी।
महिला ने निभाई खास भूमिका
किट तैयार करने वाली टीम में एक महिला भी शामिल थी। लैब में वह वायरोलॉजिस्ट की पोस्ट पर काम करती हैं। उनका नाम मीनल है। किट को फाइनल मंजूरी दिलवाने के लिए भेजने के बाद ही मीनल अस्पताल जाकर भर्ती हुई। उन्होंने कहा कि इस मशीन के तैयार करने के लिए उनकी सारी टीम की बहुत मेहनत लगी थी। इस मशीन का तैयार होना हम सभी की इज्जत का सवाल था।
टेस्टिंग किट के बारे में मायलैब की रिसर्च और डेवेलेपमेंट प्रमुख वायरोलॉजिस्ट मिनल देखावे भोसले बताती हैं कि, "हमारी किट 2-2.30 घंटे में सैंपल का टेस्ट बता देती है जबकि विदेशी किट इसी काम के लिए 6-7 घंटे लेती है।"
फरवरी में हुई थी शुरूआत
मिनल ने बताया कि उन्होंने 18 मार्च को यह किट तैयार
कर जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजी और अगले दिन अपनी बेटी को जन्म दिया।
हालांकि उन्हें कई स्वास्थय संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। इसके बावजूद मीनल का कहना था कि ''यह इमरजेंसी थी। मैंने इसे चुनौती के तौर पर लिया। मुझे देश की सेवा करनी थी।"