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फिक्की फ्लो अमृतसर के ‘आर्ट ऑफ माइंड फुल पैरेंटिंग वर्कशाप’ में महिलाओं ने लिए टिप्स

  • Edited By Priya dhir,
  • Updated: 27 Jul, 2018 04:30 PM
फिक्की फ्लो अमृतसर के ‘आर्ट ऑफ माइंड फुल पैरेंटिंग वर्कशाप’ में महिलाओं ने लिए टिप्स

जमाने के साथ बच्चों की परवरिश भी अब हाइटेक हो गई है। दादी-नानी की कहानियां अब बच्चे कहां सुनते हैं। बच्चों को चाहिए ‘स्मार्ट फोन’, ‘लैपटॉप’, ‘आईफोन’ व अन्य वो सारी चीजें जो ‘गूगल’ पर मौजूद हैं या फिर टी.वी. चैनल व समाचार पत्रों में देखते हैं।

बच्चों की परवरिश 20-25 साल पहले भी होती थी लेकिन क्या जरूरत पड़ गई कि बच्चों की परवरिश के लिए हमें सैमीनार लगाने पड़ रहे हैं। समय बदल रहा है, हाइटेक जमाने में सोच भी हाइटेक हो गई है। यह कहते हुए फैडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (फिक्की) द्वारा आयोजित ‘आर्ट ऑफ माइंड फुल पैरेंटिंग वर्कशाप’ के मंच पर दिल्ली से आए डा. अमित सेन (एम.डी, चाइल्ड सायोक्रायटिक स्पेशलिस्ट, यू.के.)ने एकल परिवार को संयुक्त परिवार के संस्कार बांटने की जिम्मेदारी तय की। सैमीनार में शहर के बड़े घरानों की करीब 150 महिलाओं ने हिस्सा लेकर बच्चों की बेहतर जिम्मेदारी के ‘टिप्स’ लेने पहुंची थी। 
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‘फोर जी’ व ‘सुनो जी’ के भंवर में फंसी महिलाएं : डा. शैलजा
डा. शैलजा सेन कहती हैं कि 10-12 साल का बच्चा अधेड़ से बेहतर मोबाइल फीचर समझता है, लेकिन संस्कार से अंजान है। गृहणी हो या कामकाजी दोनों प्रकार की महिलाएं कहीं न कहीं ‘फोर जी’ व ‘सुनो जी’ के भंवर में फंसी हैं। सोशल मीडिया के जमाने में घर से लेकर आफिस तक ‘वाई-फाई’ से ‘वाइफ’ परेशान दिखती हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण है परिवार के बीच ‘हाइटेक जमाने’ की दस्तक और पश्चिमी सभ्यता का बढ़ता प्रचलन। ऐसे में मांओं को जहां बच्चों की देखरेख और बेहतर हाइटेक सोच से करनी होगी, वहीं भारतीय संस्कारों को उनके जीवन में ढालने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। ‘फिक्की’ के अमृतसर चैप्टर की प्रेसीडैंट गौरी बांसल ऑउट ऑफ सिटी के बावजूद सैमीनार में आए अतिथियों का स्वागत संदेश भेजा। सीनियर वाइस प्रेसीडैंट आरुषि वर्मा ने आए हुए सदस्यों का स्वागत किया। फिक्की अमृतसर चैप्टर की शिखा सरीन, हिमानी अरोड़ा, मंजोत ढिल्लन, सुरंगमा आदि भारी गिनती में फिक्की से जुड़ी सदस्य मौजूद रहीं। आरुषि वर्मा ने बताया कि ऐसे सैमीनार का मुख्य उद्देश्य मां व बच्चों के बीच बेहतर तालमेल व हाइटेक दुनिया में बच्चों की परवरिश ऐसी हो ताकि वो संस्कारों से जुड़े रहें, पश्चिमी सभ्यता को हावी न होने दें।

लक्ष्य निर्धारित हो, सफलता मिलेगी : चश्मिा मेहरा 
जोशी कालोनी रहने वाली मिसेज चश्मिा मेहरा का 3 साल का बेटा अरहान है। पति लक्ष्य मेहरा बिजनेसमैन हैं। कहती हैं कि बच्चों को जिस सांचे में ढालेंगे वो वही बनेगा। लक्ष्य निर्धारित हो तो सफलता मिलेगी। हाइटेक जमाने में बच्चों की पसंद व नापसंद पर फोकस रखना चाहिए। 

बेटियां 2 कुल में संस्कार बांटती हैं : साक्षी मेहरा 
बच्चों के भविष्य की मां साक्षी होती हैं। ग्रीन एवेन्यू निवासी साक्षी मेहरा की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी सुहानी (11) व सायना (9) साल की है। दोनों बेटियों को बेहतर परवरिश देने की तमन्ना है, क्योंकि बेटियां एक नहीं 2 कुल में संस्कार बांटती हैं। 

मोबाइल को कम, बच्चें को दें ज्यादा समय : आरुषा 
आरुषा खुराना का बेटा स्नेय 12 साल का है। कहती हैं कि हर मां-बाप बच्चों के आंखों से सपने देखता है। उन सपनों को साकार करने के लिए हर मां-बाप को बच्चों के साथ मैनेज करना चाहिए, बच्चों के संग ज्यादा व सोशल मीडिया को कम वक्त देना चाहिए। समय का बैलेंस बनाना होगा। 

मां तो अर्पण का पर्याय है : अर्पणा कपूर 
अर्पणा कपूर मालरोड रहती हैं। बेटी समायरा 12 साल की है। कहती हैं कि आज के हाइटेक दौर में हरेक मां-बाप को सोशल मीडिया के कुचक्र से बच्चों को संभालने की जरूरत है। मां तो ‘अर्पण’ का पर्याय है। ऐसे में बदलते समय में बच्चों की जरूरतों के साथ उन्हें सही रास्ते पर ले जाना हरेक मां-बाप के लिए चुनौती है, जिसे हम सभी को स्वीकार करना चाहिए। 

बच्चें की जिद को प्यार से बदला जा सकता है : कोमल
मिसेज सहगल का दिल नाम की तरह कोमल हैं। बड़ा बेटा अक्षत (15) व उससे छोटा यजुर (10) की परवरिश में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए सदैव चिंतित रहती हैं। कहती हैं कि प्यार से बच्चों की जिद को बदला जा सकता है। 

देश को नई दिशा दे रहा डा. दंपति
डा. अमित सेन व डा. शैलजा सेन देश को नई दिशा दे रहे हैं। देश-विदेश में फैमली थेरेपिस्ट नाम से मशहूर यह दंपति बच्चों के लालन-पालन में शब्दों को जादू से संवार रहे हैं। यही वजय है कि शाहरूख खान के प्रोग्राम ‘नई सोच’ में इस दंपति को शाहरूख खान ने खास तौर पर जगह दी। प्रियंका गांधी के साथ भी यह दंपति काम कर चुके हैं। देश में बच्चों के बड़े मनोचिकित्सक रहे हैं और इन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं।

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