ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी मनाई जाती है, यानि इस दिन कुछ लोग निर्जला व्रत करते हैं। ज्येष्ठ माह के एकादशी व्रत की ग्रंथों में खास एहमियत बताई गई है। उनके अनुसार इस दिन निर्जला व्रत करने वाले व्यक्ति की हर मनो कामना पूर्ण होती है। इस दिन खासतौर पर भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। मनो कामना पूरी होने के अलावा व्रत रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
एकादशी के व्रत की शुभ शुरुआत 1 जून को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर हो जाएगी, तिथि के अनुसार इसका शुभ समय 2 जून को 12 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगा। भाव आप कल दोपहर 12 बजे तक भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना कर सकते हैं।
पूजा विधि
पूजा का मुहूर्त समाप्त होने तक तामसी भोजन का त्याग करें, यानि लहसुन और प्याज से बना भोजन न खाएं। कल पूजा समाप्त होने तक कोशिश करें भूमि पर सोएं। सुबह उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु जी को याद करें, स्नान के बाद उनके नाम की माला कुछ देर जरूर जपें। पूजा में बैठते वक्त पीले रंग के ही वस्त्र पहनें और गंगा जल साथ में जरूर रखें। मान्यता है कि भगवान विष्णु इस दिन आपकी मन की हर शुभ इच्छा को पूरा करने के लिए तत्पर रहते हैं। हो सके तो स्नान के वक्त थोड़े से गंगा जल का इस्तेमाल करें।
भगवान विष्णु जी को अर्पित करें ये वस्तुएं
पूजा के दौरान भगवान विष्णु जी को खुश करने के लिए पीले वस्त्र और गंगा जल के साथ पुष्प, फल, अक्षत, दूर्वा, चंदन आदि भी अर्पित करें। पूजा के दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। मुहूर्त भले 2 बजे समाप्त हो जाएगा, मगर व्रत आपको संध्याकाल की आरती के पश्चात ही खोलना है। व्रत खोलने के बाद फलाहार भोजन का सेवन करें। सेहत और शास्त्रों को ध्यान में रखते हुए, व्रत के एक दम पश्चात कुछ भारी या बाहर का तला भोजन न करें। घर का बना सादा भोजन ही करें।
व्रत करने से मिलते हैं ये लाभ...
-व्यक्ति चिंताओं से मुक्त होता है।
-ईश्वर हमेशा व्यक्ति के अंग-संग रहते हैं।
-अनजाने में हुए पापों का असर कम होता है।
-जीवनकाल में होने वाली शारीरिक दुर्घटनाओं से भगवान विष्णु बचाव करते हैं।
-व्यक्ति को गाय दान करने का फल प्राप्त होता है।
-परिवार में सदैव सुख-शांति बनी रहती है।
-बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में अच्छे फल मिलते हैं।
-भगवान विष्णु जी की आपके ऊपर सदैव कृपा बनी रहती है।