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किस बीमारी के चलते होता है मल्टी ऑर्गन फेलियर? जाने यहां

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 04 Jul, 2025 05:26 PM
किस बीमारी के चलते होता है मल्टी ऑर्गन फेलियर? जाने यहां

नारी डेस्क: जब हम बीमार होते हैं तो अक्सर हमें लगने लगता है कि दिक्कत सिर्फ एक अंग में है। लेकिन असल में कुछ बीमारियाँ होती हैं जो हार्ट, लीवर, और किडनी जैसे तीन मुख्य अंगों को एक साथ प्रभावित कर सकती हैं। ये तीनों मिलकर हमारे शरीर का एक बहुत ही जरूरी “लाइफ सपोर्ट सिस्टम” बनाते हैं। हार्ट ब्लड पंप करता है जिससे लीवर और किडनी को ऑक्सीजन व पोषक तत्व मिलते हैं। लीवर शरीर के जहरीले तत्व हटाता है और ब्लड को साफ करता है। किडनी शरीर से एक्स्ट्रा वेस्ट व पानी बाहर निकालती है। एक अंग कमजोर होता है तो दूसरे अंगों को जरूरी सपोर्ट नहीं मिल पाता और उन्हें भी नुकसान होता है।

सेप्सिस (Sepsis): पूरे सिस्टम पर हमला

यह एक गंभीर संक्रमण है, जिसमें बैक्टीरिया का टॉक्सिन पूरे शरीर में फैलता है। इससे इम्यून सिस्टम ओवरएक्टिव हो जाता है और वो खुद के अंगों को भी नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे मल्टी ऑर्गन फेल्योर होता है लीवर, किडनी और हार्ट सभी प्रभावित हो सकते हैं। लिवर के काम की गति कम पड़ जाती है, किडनी पेशाब बनाने में कमजोर होती है और हार्ट की पंप क्षमता गिरे लगती है।

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हेपेटोरिनल और कार्डियोहेपेटिक सिंड्रोम

हेपेटोरिनल सिंड्रोम: जब लिवर में सिरोसिस या अन्य क्रॉनिक बीमारी होती है, तो लिवर ऐसा असर डालता है कि ब्लड लिवर से गुज़र नहीं पाता और किडनी कमजोर हो जाती है।
कार्डियोहेपेटिक सिंड्रोम: अगर हार्ट फेल होने लगे तो लिवर भी खराब हो जाता है—उसमें सूजन और फंसे ब्लड की वजह से मशीनरी बिगड़ जाती है।

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मल्टी ऑर्गन फेल्योर क्यों होता है?

तीनों अंग एक दूसरे के सहयोगी हैं। अगर हार्ट कमजोर हो जाए तो लीवर और किडनी को सही मात्रा में खून नहीं मिल पाता। लीवर और किडनी जब काम नहीं करतीं तो ब्लड में टॉक्सिन व पानी जमा हो जाता है जिससे हार्ट की और परेशानी बढ़ जाती है। यही श्रृंखला धीरे-धीरे पूरे सिस्टम को प्रभावित करती जाती है।

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रोकथाम और बचाव के उपाय

क्रॉनिक बीमारियों को कंट्रोल करें: डायबिटीज, हाई बीपी, फैटी लिवर जैसी बीमारियाँ बेहद असर डालती हैं—इन पर नियमित निगरानी रखें।

नियमित हेल्थ चेकअप: LFT (लीवर), KFT (किडनी), ECG (हार्ट) और लिपिड प्रोफाइल समय-समय पर कराते रहें।

दवाइयों का सही उपयोग: ज्यादा दवा लेना लीवर पर भारी पड़ता है, तो डॉक्टर की सलाह बिना दवा ना लें।

संकेतों की उपेक्षा न करें: अगर शरीर में सूजन, सांस की तकलीफ, पेट फूलना या पेशाब कम होना जैसा बदलाव हो, तुरंत डॉक्टर से मिलें।

बॉडी के यह तीनों अंग हार्ट, लिवर और किडनी आपस में जुड़कर एक टीम की तरह काम करते हैं। एक को होने वाले नुकसान का असर तीनों पर होता है। इसलिए बीमारियों से बचाव के लिए हमें संतुलित जीवनशैली अपनानी चाहिए, सही खान-पान करना चाहिए, व नियमित जांच होती रहनी चाहिए।

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