आषाढ़ी एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है हिंदू कैलेंडर के आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष (उजाले पखवाड़े) की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है। इसे विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके नियम और रीति-रिवाजों का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और उसे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
आषाढ़ी एकादशी का महत्व
आध्यात्मिक महत्व: इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक महत्व: इसे देवशयनी एकादशी भी कहते हैं क्योंकि इस दिन से भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं।
सांस्कृतिक महत्व: विशेषकर महाराष्ट्र में, इस दिन वारी यात्रा की जाती है, जहां लाखों भक्त पंढरपुर में भगवान विट्ठल के दर्शन करने जाते हैं।
आषाढ़ी एकादशी के नियम और रीति-रिवाज
व्रत और उपवास
-सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।
-भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें।
-दिन भर उपवास रखें। केवल फल, दूध, और अन्य सात्विक आहार का सेवन करें।
-रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु के नाम का जाप करें।
-भगवान विष्णु को फल, दूध, और सात्विक खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं।
-तुलसी पत्र को भोग में शामिल करना अति शुभ माना जाता है।
पूजन सामग्री:
-भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
-तुलसी पत्र
-फल, फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती
-पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण)
-प्रसाद (फल, मिष्ठान, आदि)
पूजन क्रिया
-भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
-धूप और अगरबत्ती दिखाएं।
-फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
-पंचामृत से अभिषेक करें और मंत्र जाप करें।
-विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
-अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
तुलसी से जुड़े नियम
-एकादशी के दिन गलती से भी तुलसी के पौधे को जल अर्पित नहीं करना चाहिए। वरना मां लक्ष्मी का निर्जला व्रत खंडित हो जाता है।
-एकादशी के दिन गलती से भी तुलसी का पत्ता ना तोड़ें,ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
-पूजा के लिए एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लें तुलसी के पत्ते।
-इस दिन उपवास रखकर तुलसी और शमी के पौधों की एकसाथ पूजा करने से कई लाभ मिलते हैं।
-तुलसी के आसपास गंदगी बिल्कुल भी ना रखें, उनके स्थान की अच्छे से सफाई करें।
-तुलसी के पौधे को कभी भी जूठे या गंदे हाथों से स्पर्श नहीं करना चाहिए।
-देवशयनी एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े पहन कर तुलसी मां की पूजा नहीं करनी चाहिए. इसे अशुभ माना जाता है।
वास्तु नियम
आषाढ़ी एकादशी के दिन कुछ विशेष वास्तु नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।पूरे घर की सफाई करें। विशेष रूप से पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और दीप जलाएं। घर के उत्तर-पूर्व दिशा में भगवान विष्णु की पूजा करें। यह दिशा ईशान कोण मानी जाती है और इसे सबसे शुभ दिशा माना जाता है।तुलसी के पौधे की पूजा करें और दीप जलाएं। तुलसी को घर में सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।
आषाढ़ी एकादशी पूजा के लाभ
-इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
-भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
-उपवास से शरीर का शुद्धिकरण होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
-इस दिन की पूजा और व्रत से परिवार में एकता और सामंजस्य बढ़ता है।