आज यानी की 7 नवंबर सोमवार को देव दिवाली मनाई जा रही है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। देव दिवाली को त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। यह कार्तिक पूर्णिमा के 15 दिनों के बाद मनाई जाती है। 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण के कारण ही देव दिवाली इस बार एक दिन पहले मनाई जा रही है। इस दिन यदि विधि-विधान के साथ देवी-देवताओं की पूजा की जाए तो आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही उनकी कृपा भी आप पर हमेशा बनी रहती है। देव दिवाली वाले दिन नदी में स्नान और दीपदान करने का भी बहुत ही महत्व माना जाता है।
धरती पर उतरते हैं देवी देवता
मान्यताओं के अनुसार, देव दिवाली वाले दिन सारे देवी-देवता पृथ्वी पर उतरते हैं और काशी में दिवाली का त्योहार मनाते हैं। इसलिए इस त्योहार को देव दिवाली कहते हैं। आज के दिन काशी और गंगा के घाटों पर भी बहुत ही रौनक होती है। इन दिन दीपदान भी किया जाता है।
त्रिपुरासुर राक्षस का किया था वध
ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने धरती के लोगों को बहुत ही परेशान किया था और उससे दुखी होकर सारे देवी-देवता भगवान शिव के पास गए। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। उससे मुक्ति मिलने के बाद देवता भगवान शिव की नगरी में काशी जाकर पहुंचे और वहां पर जाकर दीप प्रज्जवलित करके खुशियां मनाई। इसी के बाद से हर साल कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन देव दिवाली मनाई जाती है।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा तिथि आज यानी 7 नवंबर को शाम 4:15 से शुरु होगी और 8 नवंबर वाले दिन शाम 4:31 मिनट पर समाप्त होगी। 8 नवंबर को चंद्रग्रहण लगने वाला है इसलिए देव दिवाली एक दिन पहले मनाई जाएगी। इसी बीच पूजा का शुभ मुहूर्त 7 नवंबर को शाम 05:14 से लेकर 7:49 तक रहेगा। पूजा
इसके मुताबिक शुभ पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 32 मिनट के लिए होगा।
प्रदोष काल में शुभ माना जाता है दीपदान
ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार, देव दिवाली में पूजा और दीपदान प्रदोष काल में करना बहुत ही शुभ माना जाता है। प्रदोष काल का समय शाम 5:14 से लेकर 7:49 तक रहेगा।
देव दीवाली वाले दिन दीपदान का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, देव दिवाली यानी कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन देवी-देवता काशी में गंगा किनारे दिवाली मनाने के लिए आते हैं। इसलिए माना जाता है कि यदि कोई प्रदोष काल में दीपदान करे तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है और उसे सौभाग्य भी प्राप्त होता है। इस दिन भगवान शिव को भी नियमित दीपक जलाने से जीवन में खुशहाली आती है। इसके अलावा उनका आशीर्वाद भी मिलता है। इस दिन दीपदान करने से जीवन में यम, शनि और राहु-केतु का प्रभाव भी कम होता है।