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क्यों कार्तिक महीने में मनाई जाती है Dev Diwali? जान लें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि भी

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 16 Nov, 2021 01:17 PM
क्यों कार्तिक महीने में मनाई जाती है Dev Diwali? जान लें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि भी

देव दीपावली या देव दिवाली हिंदू धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर को मनाई जा रही है। काशी में यह पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और पूरे काशी शहर को दीपों से सजाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली के दिन सभी देवी-देवता स्वर्ग से काशी में पर्व मनाने आते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू होता है और पांचवें दिन, यानी कार्तिक पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा की रात) पर समाप्त होता है। मगर, क्या आप जानते हैं कि इस महीने में ही देव दिवाली क्यों मनाई जाती है?

देव दिवाली तिथि और शुभ मुहूर्त

देव दिवाली तिथिः 18 नवंबर, 2021
देव दिवाली पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 18 नवंबर दोपहर 12:00 बजे
देव दिवाली पूर्णिमा तिथि समाप्तः 19 नवंबर को दोपहर 2:26 बजे

देव दिवाली पूजा प्रदोष काल के दौरान की जाती है। पूजा का मुहूर्त शाम 5:09 बजे से शाम 7:47 बजे तक है।

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क्यों मनाई जाती है देव दिवाली?

कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं। कुछ लोग कहते हैं कि यह भगवान शिव के योद्धा पुत्र भगवान कार्तिक की जयंती का प्रतीक है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह वह दिन है जब भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार 'मत्स्य' ग्रहण किया था। फिर भी एक अन्य किंवदंती कहती है, भगवान शिव ने इस दिन शक्तिशाली राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था, इसलिए त्योहार को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

भगवान शिव ने किया था राक्षस का अंत

धार्मिक मान्यता के अनुसार, देव दीपावली के दिन सभी देवी-देवता स्वर्ग से काशी के घाटों पर उतर आते हैं। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सबसे पहले देवताओं ने काशी के घाटों पर दिवाली मनाई थी क्योंकि उस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। जब राक्षस त्रिपुरासुर के अत्याचारों से देवता आहत हुए तो उन्होंने त्रिदेव से मदद मांगी।

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देवताओं की प्रार्थना पर 'भूतनाथ' शंकर ने उस राक्षस का वध किया और देवलोक पहुंचे। जब देवताओं को यह खबर मिली तो वे खुशी से झूम उठे और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए काशी शहर में दीपक जलाए। देवताओं की इस दिवाली को 'देव दिवाली' कहा जाने लगा। यह हिंदू कथा और पारंपरिक पर्व अब तक मनाया जाता है। देव दीपावली उत्सव को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

देव दिवाली पर जरूर करें ये काम

वैसे तो कार्तिक का पूरा महीना पूजा के लिए अच्छा माना जाता है और इस पूरे महीने में दीप दान करना शुभ माना जाता है, लेकिन मुख्य रूप से देव दिवाली के दिन दीपदान करने की प्रथा सालों से चली आ रही है। इस दिन लोग घर में दीया जलाते हैं और नदी - तालाबों में भी दीपदान करते हैं। देव दीपावली के दौरान पवित्र गंगा नदी के तट पर सभी घाटों की सीढ़ियों पर लाखों मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं। माना जाता है कि पत्तों पर तेल के दीपक जलाकर प्रवाहित करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

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बता दें कि इस दिन महान भव्य गंगा आरती 21 ब्राह्मण पुजारियों और 24 महिलाओं द्वारा की जाती है, जिसे देखने के लिए लोग विदेशों से भी आते हैं।

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