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'UPSC में समय और प्रयास बर्बाद कर रहे युवा...' अर्थशास्त्री के इस बयान को लेकर छिड़ी बहस

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 27 Mar, 2024 11:29 AM
'UPSC में समय और प्रयास बर्बाद कर रहे युवा...' अर्थशास्त्री के इस बयान को लेकर छिड़ी बहस

भारत सरकार में प्रमुख आर्थिक सलाहकार और अपने इतिहास लेखन के लिए पहचाने वाले संजीव सान्याल इन दिनों विरोध का सामना कर रहे हैं।  उन्होंने  यूपीएससी को लेकर कुछ ऐसा कह दिया जो चर्चा का विषय बन गया। हालांकि कुछ लोग उनके तर्क से बिल्कुल सहमत हैं तो वहीं कुछ का कहना है कि एक अर्थशास्त्री के मुंह से ये बातें अच्छी नहीं लगती। चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला

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प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्‍याल का मानना है कि यूपीएससी समय की बर्बादी है। वह कहते हैं कि आजकल के बच्चे  दूसरे कई करियर ऑप्‍शन के बारे में विचार किए बगैर यूपीएससी में समय और प्रयास बर्बाद करते हैं। दरअसल हाल ही में  संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की कठिन परीक्षा की तैयारी को लेकर गंभीर चर्चा हुइ थी जिस पर संजीव सान्‍याल ने अपनी यह राय दी है। उनका कहना है कि देश के लाखों युवा UPSC परीक्षाओं की तैयारी में अपने कई साल बर्बाद कर देते हैं, जबकि केवल कुछ हजार ही इसमें कामयाब हो पाते हैं।

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सान्याल के मुताबिक यूपीएससी एग्‍जाम देने के बारे में केवल उन लोगों को सोचना चाहिए जो वाकई में एडमिनिस्‍ट्रेटर बनने में दिलचस्‍पी रखते हैं। वह आगे कहते हैं- यदि आपको सपना ही देखना ही है, तो आपको एलन मस्क या मुकेश अंबानी बनने का सपना देखना चाहिए, आप संयुक्त सचिव बनने का सपना क्यों देखते हैं? उन्होंने कहा-  दशकों से पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे क्षेत्रों में लोगों की आकांक्षाएं सीमित थीं। वे सिर्फ बुद्धिजीवी, नेता या स्थानीय राजनेता जैसी भूमिकाओं तक के बारे में सोचते थे। यह सिमटी हुई सोच अक्सर लोगों को अलग-अलग तरह के अवसरों के बजाय डिफॉल्‍ट विकल्प के रूप में सिविल सेवाओं में करियर बनाने की ओर ले जाती है।

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 सान्‍याल ने यह भी कहा कि वह ऐसा बिल्‍कुल नहीं कह रहे हैं कि लोग परीक्षा न दें, लेकिन मुझे लगता है कि लाखों लोग एक परीक्षा पास करने की कोशिश में अपने बेहतरीन साल निकाले दे रहे हैं। जबकि वास्तव में वहां कुछ हजार लोगों की छोटी संख्या की ही जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यम वर्ग की सोच में बदलाव देखने को मिला है, लोग जोखिम उठा रहे हैं। यह दिमाग का खुलापन है, जो सिर्फ उद्यमिता के छोटे से क्षेत्र में नहीं हो रहा है। यह नजरिये में बदलाव है।

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उनके इस बयान के बाद यूपीएससी मेंटर और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर लिखने वाले दीपांशु सिंह संजीव सान्याल ने भी इसे लेकर सहमति जताई। उन्हाेंने  एक्स में लिखा-  सिविल सेवाओं को लेकर धारणाएं जो हैं उनसे वास्तविकता काफी अलग है। वहीं अर्थशास्त्र के जानकार और रियल स्टेट पर नजर रखने वाले विशाल भार्गव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा- "असहमत. यूपीएससी कई लोगों के लिए एक सपना है। किसी दूसरी नौकरी के जरिए क्या आपके पास इतनी शक्ति और इतनी कम जवाबदेही है? अधिकांश नौकरशाह छोटा व्यवसाय चलाने में सक्षम नहीं होंगे, दुनिया को बदलने की बात तो दूर की बात है। 

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