स्वदेशी निमोनिया वैक्सीन अब भारत की लैब में भी तैयार की जाए क्योंकि औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दवा बनाने के लिए भारत को पूर्ण रूप से अनुमति मिल चुकी है। वहीं, ट्रायल सफल होने के बाद यह दवा जल्दी ही मार्कीट में आ जाएगी। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) का अप्रूवल भी लिया जा चुका है।
भारत में किए गए सभी ट्रायल
बता दें कि दवा के सभी ट्रायल भी पूर्ण रूप से भारत में ही किए गए है। गांबिया व अन्य देश भी इस वैक्सीन का ट्रायल ले चुके हैं। न्यूमोकोकल पॉलीसैकराइड कंजुगेट (Pneumococcal Polysaccharide Conjugate Vaccine) दवा को बनाने की जिम्मेदारी पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सौंपी गई है।
जल्द मार्कीट में आएगी दवा
क्लिनिकल टेस्ट के बाद वैक्सीन के निर्माण व व्यापार के लिए आवेदन भेजा गया था, जोकि अप्रूव हो चुका है। अब इस दवा को जल्दी ही मार्कीट में लांच किया जा सकेगा। इससे पहले यह दवा सिर्फ विदेशों में तैयार की जाती थी। भारत में ऐसी दवा को तैयार करने का लाइसेंस पहली बार दिया गया है।
पहली बार मिला भारत को लाइसेंस
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक, निमोनिया के क्षेत्र में यह पहला स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन है। इससे पहले इस तरह के टीके की मांग काफी हद तक पूरी हुई थी, लेकिन विदेशी कंपनियों ने ही वैक्सीन बनाई थी। देश में लाइसेंस प्राप्त कंपनी द्वारा ऐसा पहली बार हुआ है।
न्यूमोकोकल वैक्सीन क्यों की जाती है इस्तेमाल?
इस वैक्सीन का इस्तेमाल बैक्टीरियल, वायरल और फंगल निमोनिया से बचाव के लिए किया जाता है, जो टीकाकरण के दौरान लगाया जाता है।
कैसे काम करती है दवा?
यह वैक्सीन फेफड़ों की सूजन बढ़ाने वाली स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया जीवाणु से लड़ने के लिए शरीर को ताकत देती है। यह आमतौर पर बच्चों को 2, 4, 6 और 12 से 15 साल की उम्र में लगाया जाता है।