हर साल सितंबर के चौथे रविवार को Daughters Day यानि बेटी दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य भ्रूण हत्या को रोकना, बेटा-बेटी को बराबर समझना और बेटी को सफलता की राह में जाने को बढ़ावा देना है। वहीं आज देशभर की बेटियां अपनी काबिलियत से आसमान को छू रही हैं। लेकिन अभी भी समाज में ऐसे कई लोग है जो अपनी सोच को बदल नहीं पाए। आज के बदलते दौर में भी कई लोग बेटियों को बोझ समझते हैं। जिसके चलते वे बेटी को कोख में ही मार देना ही सही समझते हैं। देश में कई ऐसे पिछड़े राज्य है जहां बेटियों को जन्म लेने से पहले ही मौत की सजा सुना दी जाती है।
आज के बदलते दौर में देखा जाए तो असल में, बेटियां अब बोझ नहीं रही, अब वह भी लड़कों की तरह बराबर खड़ी है। आज की बेटियां मां-बाप का मान है। वे हर कदम व परिस्थिति पर पेरेंट्स के मान-सम्मान का ध्यान रखती है। लडको से ज्यादा लड़कियां ही है जो अपना घर छोड़ने के बाद भी मां बाप की चिंता करना नहीं छोड़ती।
शास्त्रों में भी नारी का सम्मान
वहीं शास्त्रों में भी नारी का सम्मान करने के बारे में लिखा है। उसे पूजनीय व देवी माना गया है। एक औरत से ही घर का वंश आगे बढ़ता है। ऐसे में उसे मारने या सम्मान ना देने की गलती ना करें।
बेटी को जीने का हक दें
आज भी कई लोग बेटियों को बेटों के मुकाबले कम समझते हैं। उनकी इस गलत व छोटी सोच के कारण वे बेटियों को जन्म लेने से पहले ही मार देते हैं। मगर इस पर मां-बाप को ऐसी सोच रखने की गलती नहीं करनी चाहिए। अगर पेरेंट्स ही बेटा-बेटी पर भेदभाव करने लगेंगे तो वे जिंदगी को खुलकर नहीं जी पाएगी।
बेटी को पढ़ाएं
इसके अलावा कई जगहों पर बेटियों को पढ़ने से भी रोका जाता हैं। इनके बारे में कहा भी जाता है कि, 'आदमी के पढ़े-लिखे होने से उसका जीवन सुधरता है मगर एक औरत के पढ़ने-लिखने से पूरा घर शिक्षित होता है।' इसलिए बेटियों की पढ़ाई रोकने की जगह पर उन्हें पढ़ाएं।
दहेज ना ले और ना दें
दहेज देना और लेना दोनों ही गलत होता है। इसके कारण भी आज समाज में कई बेटियां बलि चढ़ चुकी हैं। वहीं एक बेटी का बाप दहेज ना दे पाने के कारण भी बेटी पैदा करने से डरना है। ऐसे में आप चाहे एक बेटे के पिता हो या बेटी के दहेज देने व लेने की सोच व रिवाज को बंद करें। आपके द्वारा ऐसा कदम उठाने से भी समाज में बदलाव आ सकते हैं।
हर फील्ड में नाम कमा रही बेटियां
आज की बेटियां आत्मविश्वासी, निडर, सुलझी हुई है। ऐसे में वे हर काम करने को सक्षम है। वहीं आज दुनियाभर शायद ही कोई ऐसा काम होगा जिसमें लड़कियां अपना नाम ना कमा रही हो। वे शिक्षा, डॉक्टरी, खेल, विज्ञान हर जगह में एक अहम भूमिका निभा रही है। इसलिए इनके बारे में कहा भी जाता है कि 'आज की नारी, सब पर भारी।' ऐसे में वे खुद के साथ अपने पेरेंट्स व परिवार का मान-सम्मान बढ़ा रही है।