UTI यानि प्राइवेट पार्ट में होने वाली इंफेक्शन। पहले तो ये समस्या केवल 30 से अधिक उम्र की महिलाओं में देखने को मिलती थी, मगर आजकल यह प्रॉब्लम छोटे बच्चों में भी दिखाई दे रही है। आइए आज जानते हैं भला इतनी कम उम्र में बच्चे इस समस्या का शिकार हो रहे हैं और इस प्रॉब्लम से जुड़े कुछ खास लक्ष्ण?
बच्चों में यूटीआई के लक्षण...
-पेट के नीचे वाले हिस्से में दर्द
-पीठ में दर्द
-बार-बार यूरीन आना
-कभी-कभार यूरीन में खून आना
इसके अलावा समस्या ज्यादा बढ़ जाने पर कई बार बुखार, भूख कम लगना, बच्चे का चिड़चिड़ा होना या फिर पेट खराब रहने जैसी परेशानियों का भी बच्चे को सामना करना पड़ता है।
क्यों होती है बच्चों में UTI?
आज के आधुनिक युग में जहां मां-बाप घर की बजाए बाहर का खाना पसंद करते हैं, उसी तरह बच्चे भी इसी आदत को फॉलो करते हैं। ज्यादा ऑय़ली, फास्ट फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन करने से हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। बच्चों का शरीर तो वैसे ही बहुत नाजुक होता है, उनके शरीर पर इन चीजों का साइड इफेक्ट बहुत जल्द देखने को मिलता है। इसके अलावा शरीर की साफ-सफाई भी काफी मायने रखती है। जो पेरेंट्स बच्चों की शारीरिक साफ-सफाई पर अच्छी तरह ध्यान नहीं देते, उन बच्चों की भी यह समस्या झेलनी पड़ती है। चलिए अब जानते हैं बच्चों को इस प्रॉब्लम का शिकार होने से कैसे बचाया जाए?
बचाव के तरीके..
-सबसे पहली बात, बच्चों के खान-पान पर पूरी तरह ध्यान दिया जाए। जितना हो सके उन्हें घर का खाना दें, जंक फूड और अन्य सॉफ्ट ड्रिंक्स से जितना हो सके उन्हें दूर रखें।
-इसके अलावा गर्मियों में बच्चों को रोज नहलाएं, सर्दियों में आप चाहें तो एक दिन छोड़कर नहला सकते हैं, मगर 1 दिन से ज्यादा का गैप न ऱखें।
-घर के बाथरुम को हर रोज साफ करें, और बच्चे को समझाएं कि बाहर जाकर भी साफ वॉशरुम ही इस्तेमाल करे। बच्चे के स्कूल जाकर भी जरुर देखें कि वहां के बाथरुम साफ हैं या नहीं।
-छोटे शिशुओं को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में मां-बाप को चाहिए कि बच्चों की डायपर टाइमिंग का खास ध्यान रखें।
-नहलाने के बाद बच्चे का शरीर अच्छे से पोंछे, गीले शरीर पर कपड़े पहनाने से भी बच्चे प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन का शिकार होते हैं।
-बच्चे को समझाएं कि बाथरुम आने पर ज्यादा देर तक रोककर न रखें।
-खुद के साथ-साथ बच्चे को भी ढेर सारा पानी पीने की सलाह दें, ताकि बच्चे को कब्ज जैसी समस्या का सामना न करना पड़े। कब्ज की वजह से भी कई बच्चे इस परेशानी का शिकार हो जाते हैं।