दादा-दादी के साथ बच्चों का एक अलग ही प्यार होता है। बच्चे अपने ग्रैंडपेरेंट्स के साथ दिल से जुड़े होते हैं। खासकर ऐसे बच्चे जिनको अपने दादा-दादी का प्यार मिले वह जिंदगी को और भी अच्छे से जी पाते हैं क्योंकि वह अपनी जिंदगी की शिक्षाएं बच्चों को भी देते हैं। जब पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त होते हैं तो उस समय दादा-दादी ही होते हैं जो बच्चों की अच्छे से देखभाल करते हैं। हाल ही में सामने आए शोध में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि दादा-दादी के साथ इमोशनल रुप से जुड़ने से बच्चों में उदास होने का खतरा कम होता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे ग्रेंडपेरेंट्स बच्चों के जीवन पर प्रभाव डालते हैं....
बच्चों का डिप्रेशन दूर करते हैं ग्रैंड पेरेंट्स
दादा-दादी के साथ बच्चों का एक अलग ही प्यार होता है। बच्चे अपने ग्रैंडपेरेंट्स के साथ दिल से जुड़े होते हैं। खासकर ऐसे बच्चे जिनको अपने दादा-दादी का प्यार मिले वह जिंदगी को और भी अच्छे से जी पाते हैं क्योंकि वह अपनी जिंदगी की शिक्षाएं बच्चों को भी देते हैं। जब पेरेंट्स अपने काम में व्यस्त होते हैं तो उस समय दादा-दादी ही होते हैं जो बच्चों की अच्छे से देखभाल करते हैं। हाल ही में सामने आए शोध में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि दादा-दादी के साथ इमोशनल रुप से जुड़ने से बच्चों में उदास होने का खतरा कम होता है। जब बच्चे अपने दादा-दादी के साथ समय बिताते हैं तो वे खुद को भी व्यस्त रखते हैं। इसके अलावा इससे बच्चे की स्थिरता और सुरक्षा की भावना भी दादा-दादी के साथ महसूस करते हैं।
जीवन की परेशानियों से लड़ने की सीख
शोध में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि दादा-दादी के साथ बच्चों के यदि अच्छे रिश्ते हो तो इससे उन्हें जीवन की दर्दनाक परेशानियों से निपटने में मदद मिलती है। इस शोध में 1500 से ज्यादा बच्चे शामिल किए गए थे। इस शोध में साबित हुआ कि यदि माता-पिता नियमित रुप से अपने बच्चों के जीवन में दादा-दादी को शामिल करते हैं तो बच्चों का अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ एक इमोशनल बॉन्ड विकसित होता है ।
बढ़ता है बच्चों में आत्मविश्वास
जब बच्चे अपने दादा-दादी के साथ होते हैं तो वह प्यार, आत्मविश्वास जैसी कई सारी चीजें सीखते हैं। इससे वह हर स्थिति को भी आासानी से हैंडल कर पाते हैं और उनके अंदर आत्मविश्वास भी बढ़ता है। बच्चे इससे अपने आपको साहसी महसूस करने लगते हैं।
पेरेंट्स भी रहते हैं रिलैक्स
माता-पिता को भी इस बात का एहसास होता है कि बच्चे अपने दादा-दादी के साथ हैं। ऐसे में वह भी टैंशन फ्री रहते हैं। माता-पिता के काम पर चले जाने के बाद बच्चे अपने ग्रैंड पेरेंट्स के साथ समय बिताते हैं उनके साथ कंफर्टेबल महसूस करते हैं और उन्हें यह भी पता होता है कि दादा-दादी के साथ वह एकदम सेफ रहेंगे। वहीं बच्चे भी दादा-दादी के साथ ज्यादा अच्छे से खुलते हैं और पेरेंट्स की जगह वह उनके साथ अच्छे से मिक्स हो जाते हैं।