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देरी से मां बनना भी Breast Cancer की एक वजह, जानिए Risk Factor जो बढ़ाते हैं खतरा

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 28 Jun, 2024 05:36 PM
देरी से मां बनना भी Breast Cancer की एक वजह, जानिए Risk Factor जो बढ़ाते हैं खतरा

ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो भारतीय महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है। हालांकि, आजकल पुरुष भी इसकी चपेट में है लेकिन महिलाएं इसकी ज्यादा शिकार हैं। आंकड़ों का मानें तो हर 8 में से एक महिला में ब्रेस्ट कैंसर की शिकार है जबकि 1 फीसदी पुरुष ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे हैं। बीमारी से बचाव रहे इसलिए महिलाओं को इसके कुछ खास रिस्क फैक्टर समझने जरूरी हैं। चलिए आपको इससे जुड़े कुछ खास जानकारी आपके साथ साझा करते हैं जो इस जानलेवा बीमारी को समझने में काफी मददगार साबित हो सकती है। 

महिलाओं में Breast Cancer का रिस्क फैक्टर ज्यादा क्यों?

महिलाओं में जेनेटिक के कारण इसका खतरा 1.5 गुना ज्यादा रहता है।
शारीरिक बनावट पुरुषों से अलग है, इसलिए उन्हें इसका खतरा अधिक रहता है।
12 साल की उम्र से पहले पीरियड्स शुरु होना और 55 साल की उम्र के बाद मेनोपॉज होना
प्रेग्नेंसी में देरी या ताउम्र बच्चे का जन्म न देना एक बड़ी वजह।
जो महिलाएं गर्भनिरोधक दवाइयों का लंबे समय तक सेवन करती हैं वह भी इस कैंसर की चपेट में आ सकती हैं।

पुरुषों में कब हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर?

आनुवांशिक कारण
क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, जिसके कारण पुरुषों में X क्रोमोसोम और एस्ट्रोजन हार्मोन लेवल बढ़ जाता है, जिससे कैंसर का खतरा 20 से 60% तक रहता है।
जेनेटिक म्यूटेशन, जिसके कारण पुरुषों के CHEK2, PTEN and or PALB2 जीन बदल जाते हैं।
टेस्टिस (अंडकोष) में मूवमेंट न होना या 2 से अधिक टेस्टिस के कारण भी ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है।

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इन लक्षणों की अनदेखी बिलकुल ना करें... 

स्तनों पर किसी तरह की गांठ
स्तनों में दर्द, खुजली और लालगी
अंडरआर्म्स या बाजू कंधे के आसपास हिस्से में दर्द, सूजन या गांठ बनी हो।
गर्दन के ऊपरी हिस्से में दर्द और सूजन
निप्पल में मटमैला पानी जैसे चिपचिपा डिस्चार्ज हो तो। 
निप्पल मुड़े हो या निप्पल का रंग व आकार बदलने लगे।
बहुत ज्यादा थकान महसूस होना

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ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के कुछ तरीके

नहाते समय स्तनों के आसपास हाथ लगाकर जरूर चेक करें क्योंकि समय रहते इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है।
डाइट में हैल्दी चीजों जैसे दूध, दही, फ्रूट्स नट्स व हरी सब्जियां खाएं।
व्यायाम-योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
वजन को कंट्रोल में रखें।
मेडिटेशन करें खुद को तनाव से दूर रखें। 
जंकफूड, प्रोसेस्ड फूड, अल्कोहल-स्मोकिंग का सेवन ना करें। 
समय-समय पर मैमोग्राफी, जेनेटिक टेस्टिंग करवाएं

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