प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिन बहुत नाजुक होते हैं और इस समय मिसकैरेज होने का भी खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इस समय गर्भवती महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है। कंसीव करने के बाद ब्लीडिंग होने पर, अक्सर महिलाएं घबरा जाती हैं क्योंकि ब्लीडिंग को मिसकैरेज का संकेत माना जाता है। हालांकिए इस स्पॉटिंग का मतलब जरूरी नहीं कि आपकी प्रेग्नेंसी में कुछ गलत हो गया है। ऐसी कई महिलाएं होती हैं जिन्हें पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती रहती है बावजूद इसके वे एक हेल्दी बच्चे को जन्म देती हैं।जानिए प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग से जुड़ी तमाम वजहें।
ये हो सकती हैं वजहें
1. जब भ्रूण महिला के गर्भ में इंप्लान्ट होता है तो कई बार हल्की ब्लीडिंग होती है। हालांकि इसे महिला पीरियड समझकर ज्यादा ध्यान नहीं देतीं। ये ब्लीडिंग दो से तीन दिनों तक हो सकती है।
2. शरीर के आंतरिक हिस्से बेहद संवेदनशील होते हैं। ऐसे में कई बार वैजाइनल इन्फेक्शन की वजह से भी हल्का स्पॉट आ जाता है।
3. कई बार प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक संबधं बनाना असुरक्षित हो जाता है, ऐसे में भी महिला को ब्लीडिंग हो सकती है।
4. कई बार बच्चा सही जगह पर न पहुंचकर फेलोपियन ट्रयूब में पहुंच जाता है। ये स्थिति महिला के लिए काफी कष्टकारी हो सकती है। इसमें महिला को ब्लीडिंग के साथ पेट के निचले हिस्से में दर्द भी हो सकता है।
ध्यान रहे
प्रेगनेंसी के ब्लीडिंग खतरे का संकेत हो सकती है। मिसकैरेज की स्थिति में भी ब्लीडिंग होती है। इसलिए आप किसी भी तरह की स्थिति में ब्लीडिंग या स्पॉट होने पर डॉक्टर से परामर्श जरूर करें ताकि समय रहते खतरे से निपटा जा सके। आमतौर पर मिसकैरेज के ज्यादातर मामले 14वें सप्ताह में आते हैं और इसमें ब्लीडिंग या स्पॉटिंग के साथ क्रैम्प भी होते हैं।
यदि ब्लीडिंग की समस्या सामान्य वजह से है तो
आराम करें
भरपूर पानी पिएं
आयरनयुक्त चीजों का सेवन करें
डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाओं का सेवन करें
भारी सामान उठाने और सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से बचें