कोरोना वायरस के कारण देशभर में लाॅकडाउन लगा दिया गया था। जिस वजह से स्कूल भी बंद कर दिए गए। हालांकि लाॅकडउन कोे अनलाॅक कर दिया गया है लेकिन स्कूल अभी भी बंद है। घर बैठे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है। लेकिन उन बच्चों को क्या जिनके पास ना तो फोन है, ना टीवी और ना ही इंटरनेट। इसी बीच ऐसे ही गरीब बच्चों की मदद के लिए 14 साल की लड़की ने हाथ बढ़ाया है।
मध्यप्रदेश के आदिवासी गांव धनोजा की रहने वाली नंदिनी खुद भी 8वीं कक्षा की छात्रा है। उसके गांव में सिर्फ एक ही प्राइमरी स्कूल है। लेकिन लाॅकडाउन के करण वह भी बंद है। जिसे देखते हुए नंदिनी ने खुद ही बच्चों को पढ़ाने की सोची। नंदिनी ने बच्चों का ग्रुप बनाया और बारी-बारी से उन्हें पढ़ाना शुरू कर दिया। नंदिनी ने इस नेक काम के लिए पहले अपने पिता से बात की। जिसके बाद उनके पिता ने नंदिनी को बच्चों को पढ़ाने की इजाजत दे दी।
नंदिनी अपने घर के बाहर बच्चों को पढ़ाने लग गई। तभी सामाजिक कार्यकर्ता छत्रसाल पटेल जब इस गांव में आए तो उन्होंने स्कूल चलता हुआ देखा। जिसके बाद वे दुनिया का सामने नंदिनी की कहानी लेकर आए। आज भी कई ऐसे गांव है जहां के बच्चों के पास पढ़ने लिखने का कोई साधन नहीं है। वहीं कुछ बच्चे आर्थिक स्थिति के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। सच में, नंदिनी जैसी बच्चों को समाज सलाम करता है।