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पहली महिला आइपीएस ऑफिसर पर बनेगी बायोपिक ,  कभी Crane से उठा ली थी इंदिरा गांधी का कार

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 13 Jun, 2024 12:50 PM
पहली महिला आइपीएस ऑफिसर पर बनेगी बायोपिक ,  कभी Crane से उठा ली थी इंदिरा गांधी का कार

देश की पहली महिला आइपीएस ऑफिसर किरण देवी पर बायोपिक बनायी जा रही है। ड्रीम स्लेट पिक्चर्स ने हाल ही में इस बायोपिक का ऑफिशियल अनाउंसमेंट कर दिया है,जिसका नाम बेदी : द नेम यू नो' है। इस फिल्म के जरिए दर्शक किरण बेदी की अनकही कहानी को करीब से देख सकेंगे और जान सकेंगे कि कैसे एक महिला ने पुरुष प्रधान समाज में अपनी अलग पहचान बनाई।  वह तब चर्चा में आई थी जब  उन्होंने ग़लत पार्किंग में खड़ी उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी का चालान काट दिया था।

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निर्देशक कुशल चावला बनाएंगे फिल्म

इस बायोपिक में किरण बेदी की जिंदगी के उन हिस्सों को बड़े पर्दे पर दिखाया जाएगा, जो अबतक कोई नहीं जानता। किन चुनौतियों का उन्हें सामना करना पड़ा? उनके माता-पिता से लेकर बाकी चीजें भी बायोपिक में दिखेंगी। फिल्म के निर्देशक कुशल चावला अपने इंस्टा हैंडल पर फिल्म का मोशन पोस्टर शेयर करते हुए लिखा,‘यह रहा! कुशल चावला की लिखित और निर्देशित डॉ. किरण बेदी के जीवन पर बायोपिक फीचर फिल्म हमारी अनाउंसमेंट है। उम्मीद है आपको मोशन पोस्टर देखने में आनंद आया होगा। अभी और भी बहुत कुछ आना बाकी है। बने रहें!.

1972 में आईपीएस अधिकारी बनी थी किरण बेदी

पूर्व आईपीएस किरण बेदी ने कहा है कि उन्हें पहले भी कई बार बार अपने जीवन पर फिल्म बनाने का प्रस्ताव मिला है, लेकिन अब समय आ गया है कि उनकी कहानी सबके सामने आए। उन्होंने बताया कि निर्देशक कुशाल चावला के साढ़े चार साल की रिसर्च ने उन्हें इस बार हां कहने पर मजबूर कर दिया। किरण बेदी वर्ष 1972 में आईपीएस अधिकारी बनीं। वह देश की पहली महिला आईपीएस बनीं। 35 सालों तक देश की सेवा करने के बाद उन्होंने 2007 में रिटायरमेन्ट ले लिया। उस समय वह ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के महानिदेशक के पद पर थीं।

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 महिलाओं के खिलाफ अपराधों को किया कम

 IPS में शामिल होने के बाद बेदी ने दिल्ली, गोवा, चंडीगढ़ और मिजोरम में सेवा की। उन्होंने दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में एक सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में अपना करियर शुरू किया, और 1979 में राष्ट्रपति का पुलिस पदक जीता। इसके बाद, वह पश्चिम दिल्ली चली गईं जहां उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी लाई। इसके बाद एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी के रूप में वह दिल्ली में 1982 के एशियाई खेलों के लिए यातायात व्यवस्था की देखरेख करती हैं और 1983 की CHOGM गोवा में मिलती हैं। 

किरण बेदी के लिए सब थे एक सम्मान

 1982 में किरण बेदी को अमृतसर से दिल्ली पुलिस में बुलाया गया जहां उन्हें उपायुक्त ट्रैफिक बनाया गया। इस दौरान अगर कोई भी गाड़ी सड़क पर नो वाहन जोन में खड़ी मिलती तो तुरंत क्रेन से उठवा ली जाती थी। इसी दौरान उन्होने सड़क पर खड़ी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भी गाड़ी को उठवा ली थी। इतना ही नहीं साथ में उन्होंने सीबीआई के निदेशक की भी गाड़ी जाममुक्त करने के लिए सड़क से ही उठवा लिया था। बेदी ने बताया था कि इस कदम के बाद  इंदिरा गांधी के राजनीतिक सलाहकार माखनलाल फ़ोतेदार और कांग्रेस नेता आर के धवन दिल्ली पुलिस से नाराज़ हो गए थे। इसके बाद उनका नाम क्रेन बेदी रख दिया गया था। 

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2016 में बनी पुडुचेरी की उपराज्यपाल 

मई 1993 में बेदी दिल्ली जेल में महानिरीक्षक (IG) के रूप में तैनात हुईं। उन्होंने तिहाड़ जेल में कई सुधारों की शुरुआत की, जिसे दुनिया भर में प्रशंसा मिली और 1994 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला। 2003 में, बेदी पहली भारतीय महिला बनीं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र में महासचिव के पुलिस सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। 2008-11 के दौरान, उन्होंने एक कोर्ट शो आप की कचहरी भी होस्ट किया था। वह 2011 के भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थीं, और जनवरी 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। उन्होंने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में सफल रूप से चुनाव लड़ा। 22 मई 2016 को , बेदी को पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।

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