नारी डेस्क : दुनिया में कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जो सभी को हैरान कर देती हैं। ऑस्ट्रेलिया में एक 92 वर्षीय डॉक्टर ने और उनकी 37 वर्षीय पत्नी ने हाल ही में अपने बेटे गैबी का स्वागत किया है। इस घटना ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी हैं। क्योंकि यह बच्चा उस समय पैदा हुआ जब जॉन के पहले बेटे (65 वर्ष) की मृत्यु हुए सिर्फ पांच महीने हुए थे।
क्या 92 की उम्र में पिता बनना संभव है?
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी और प्रजनन क्षमता (Fertility) में धीरे-धीरे कमी आने लगती है। उम्रदराज पिताओं के स्पर्म में जेनेटिक बदलाव यानी म्यूटेशन और क्रोमोसोम संबंधी विकारों की संभावना बढ़ जाती है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इतनी अधिक उम्र में पिता बनने से न केवल बच्चे के स्वास्थ्य पर बल्कि मां की गर्भावस्था पर भी जोखिम बढ़ जाता है।

एक ब्रिटिश मेडिकल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, अधिक उम्र में पिता बनने से गर्भपात (Miscarriage) की आशंका अधिक होती है, बच्चे का जन्म समय से पहले (Premature Birth) हो सकता है, और कई मामलों में बच्चे का वजन सामान्य से कम (Low Birth Weight) पाया जाता है। यही कारण है कि चिकित्सा दृष्टि से 90 वर्ष की उम्र में पिता बनना एक अत्यंत असामान्य और जोखिमभरा मामला माना जाता है।
क्या बच्चे पर असर पड़ता है?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार 45 वर्ष से अधिक उम्र के पिताओं से जन्मे बच्चों में इन बीमारियों का खतरा ज्यादा पाया गया है।
ऑटिज़्म (Autism Spectrum Disorder)
स्किज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia)
ग्रोथ और सीखने में समस्या (Developmental issues)
यह जोखिम उम्र के साथ और बढ़ता जाता है।
92 साल की उम्र में पिता बनना इसलिए चिकित्सकीय रूप से बेहद जोखिमभरा माना जाता है।

मां और गर्भावस्था के लिए क्या खतरे?
इतनी अधिक उम्र में पिता बनने के मामलों में आमतौर पर IVF या अन्य आर्टिफिशियल रिप्रोडक्शन तकनीक का सहारा लिया जाता है। इससे गर्भवती महिला पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है। कई बार हार्मोनल बदलाव, तनाव और मेडिकल जटिलताओं के कारण गर्भकाल (pregnancy period) काफी मुश्किल हो जाता है।
92 साल की उम्र में पिता बनना भले ही एक रिकॉर्ड या चर्चा का विषय हो, लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह न तो सामान्य है और न ही सुरक्षित। इस उम्र में बच्चे और मां दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे बने रहते हैं। इसलिए, ऐसी स्थितियों में डॉक्टर की सलाह और चिकित्सा मार्गदर्शन बेहद जरूरी है।