
नारी डेस्क : भारत की प्राचीन सभ्यता और अद्भुत वास्तुकला का एक अनोखा उदाहरण है छाया सोमेश्वर महादेव मंदिर, जो तेलंगाना के नलगोंडा जिले में स्थित है। यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना है और अपनी रहस्यमयी विशेषता के कारण आज भी लोगों की आस्था और जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है।
शिवलिंग पर बनती है रहस्यमयी छाया
इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार है यहां के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग। दिनभर सूर्य की दिशा बदलती रहती है, लेकिन शिवलिंग पर हमेशा एक स्तंभ की छाया दिखाई देती है। हैरानी की बात यह है कि वह स्तंभ शिवलिंग और सूर्य के बीच में होता ही नहीं है। यानी छाया मौजूद तो रहती है, लेकिन असल स्तंभ उस स्थान पर नहीं है जहां होना चाहिए। यही कारण है कि इसे आस्था और विज्ञान का अनसुलझा रहस्य माना जाता है।

विज्ञान और वास्तुकला का बेजोड़ संगम
विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिर का निर्माण सूर्य की गति, प्रकाश के परावर्तन और खगोलीय गणनाओं के गहन अध्ययन के बाद किया गया। मंदिर परिसर के स्तंभ इस प्रकार स्थापित किए गए हैं कि उनकी संयुक्त छाया बनकर हमेशा शिवलिंग को स्पर्श करती है। यह अद्भुत गणना इतनी सटीक है कि दिन का कोई भी समय हो, छाया कभी शिवलिंग से हटती नहीं। भौतिक विज्ञानी इसे प्राचीन भारत के वैज्ञानिक ज्ञान और वास्तुकला का चमत्कारी उदाहरण मानते हैं।
चोल राजवंश का गौरव
इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर चोल राजवंश के शासनकाल में बना था। दक्षिण भारत के कई मंदिरों की तरह यह भी विदेशी आक्रमणों से काफी हद तक बचा रहा, इसलिए इसकी मूर्तियां, कला और वैज्ञानिक रहस्य आज भी अपने मूल स्वरूप में सुरक्षित हैं।

आस्था और पर्यटन का केंद्र
आज यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
यह मंदिर नलगोंडा के पनागल बस स्टैंड से मात्र 2 किलोमीटर दूर स्थित है।
हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं और शिवलिंग पर पड़ती उस अद्भुत छाया के दर्शन करते हैं।
लोगों का मानना है कि यह छाया स्वयं भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है।
छाया सोमेश्वर महादेव मंदिर भारत की गौरवशाली परंपरा, आस्था और विज्ञान का जीवित उदाहरण है। यहां आने वाला हर व्यक्ति इस रहस्य को देखकर श्रद्धा और हैरानी से भर जाता है। यह मंदिर आज भी आधुनिक विज्ञान के लिए एक चुनौती है और हमारी प्राचीन सभ्यता की अद्भुत बुद्धिमत्ता का प्रमाण भी।