नारी डेस्क : आज के दौर में बड़ी संख्या में लोग बेहतर जीवन, नौकरी और सुविधाओं की तलाश में दूसरे देशों की नागरिकता पाने का सपना देखते हैं। भारत से भी हर साल लाखों लोग विदेशों में बसने के लिए अपनी नागरिकता छोड़ते हैं। हालांकि, अगर आप सोचते हैं कि किसी दूसरे देश की नागरिकता सिर्फ पासपोर्ट या निवेश से मिल जाती है, तो यह खबर आपको चौंका सकती है। दरअसल, दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां की नागरिकता पाना लगभग नामुमकिन माना जाता है। यहां बेहद कड़े नियम, लंबा इंतजार और सरकार की अंतिम मंजूरी जरूरी होती है।
वेटिकन सिटी (Vatican City)
वेटिकन सिटी को नागरिकता के लिहाज से दुनिया का सबसे कठिन देश माना जाता है। यहां नागरिकता स्थायी नहीं होती। यह केवल कार्डिनल, पादरी या होली सी में कार्यरत अधिकारियों को दी जाती है। जैसे ही उनका कार्यकाल खत्म होता है, नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है। यहां जन्म से नागरिक बनने की कोई व्यवस्था नहीं है।

उत्तर कोरिया (North Korea)
तानाशाह किम जोंग उन के देश उत्तर कोरिया में विदेशी नागरिकों के लिए नागरिकता पाना लगभग असंभव है। यहां कोई पारदर्शी नेचुरलाइजेशन प्रक्रिया नहीं है और न ही आवेदन का कोई खुला विकल्प। सिर्फ विशेष राजनीतिक या सैन्य परिस्थितियों में ही नागरिकता दी जाती है। यह देश दुनिया के सबसे बंद राजनीतिक सिस्टम में से एक माना जाता है।
कतर (Qatar)
कतर में नागरिकता पाने के लिए व्यक्ति को कम से कम 25 साल तक लगातार वहां रहना पड़ता है। इसके साथ अरबी भाषा में दक्षता और आर्थिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। हालांकि, सभी शर्तें पूरी करने के बाद भी नागरिकता मिलना तय नहीं होता। अंतिम फैसला पूरी तरह सरकार के हाथ में होता है।

सऊदी अरब (Saudi Arabia)
सऊदी अरब में नागरिकता मिलना बेहद दुर्लभ है। यहां कम से कम 10 साल तक रहने, अरबी भाषा में निपुणता और स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव दिखाना जरूरी होता है। इसके अलावा धार्मिक पहचान भी अहम मानी जाती है, जिस वजह से गैर-मुस्लिमों के लिए नागरिकता पाना लगभग नामुमकिन माना जाता है।
कुवैत (Kuwait)
कुवैत भी नागरिकता के मामले में बेहद सख्त देशों में शामिल है। गैर-मुस्लिमों को आवेदन की अनुमति नहीं दी जाती, जबकि मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए 20 साल तक वहां रहना पड़ता है। बावजूद इसके, अधिकतर आवेदन खारिज कर दिए जाते हैं।

स्विट्जरलैंड (Switzerland)
स्विट्जरलैंड का मामला थोड़ा अलग है। यहां धर्म या पहचान से ज्यादा लोकल इंटीग्रेशन पर जोर दिया जाता है। नागरिकता के लिए व्यक्ति को कम से कम 10 साल तक रहना, स्थानीय भाषा, संस्कृति और समाज में पूरी तरह घुलना-मिलना जरूरी होता है। इसके बाद भी सख्त नागरिकता परीक्षा पास करनी होती है।