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World Heart Day: दिल को स्वस्थ रखने के लिए लाइफस्टाइल में लाए सुधार

  • Updated: 29 Sep, 2017 04:12 PM
World Heart Day: दिल को स्वस्थ रखने के लिए लाइफस्टाइल में लाए सुधार

बड़ों से लेकर कम उम्र के लोगों तक हृदय रोग तेजी से फैलता जा रहा है। इस विषय पर  चिंता जाहिर करते हुए डॉक्टरो एवं विशेषज्ञों ने लोगों को इसके लक्षणों को नजरअंदाज न करने और अपनी जीवनशैली में सुधार लाने की सलाह दी है। भारत में मृत्यु का एक मुख्य कारण हृदय से जुड़ी बीमारियां हैं। इसकी वजह दिल संबंधी बीमारियों के इलाज की सुविधा न मिलना या पहुंच न होना और जागरूकता की कमी है।  

आज वर्ल्ड हार्ट डे के मौके पर विशेषज्ञों ने कहा कि अब तक हार्ट फेल्यर की समस्या पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था। इसलिए लोग इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते थे। इस समस्या के तेजी से प्रसार का एक कारण यह भी है। वहीं, डॉ शिरीष ने कहा कि हार्ट फेल्यर को समझना जरूरी है, अक्सर लोगों को लगता है कि हार्ट फेल्यर का मतलब है कि दिल का काम करना बंद कर देना जबकि ऐसा नहीं है। हार्ट फेल्यर में दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे वह रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता। इससे ऑक्सीजन व जरूरी पोषक तत्वों की गति सीमित हो जाती है। 

इसके अलावा हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, फेफड़ों की बीमारी, मधुमेह, मोटापा, शराब का सेवन, दवाइयों का सेवन और फैमिली हिस्ट्री के कारण भी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है।  सांस लेने में तकलीफ, थकान, टखनों, पैरों और पेट में सूजन, भूख न लगना, अचानक वजन बढ़ना, दिल की धड़कन तेज होना, चक्कर आना और बार-बार पेशाब जाना इसके प्रमुख लक्षण हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो डॉक्टरी सलाह लें।

वैसे तो इस बीमारी होने की औसत उम्र 59 साल है। बीमारी की जानकारी न होना, ज्यादा पैसे खर्च होना और बुनियादी ढ़ांचे की कमी के कारण हार्ट फेल्यर के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। इस बीमारी से बचने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें। हैल्दी डाइट लें और एक्सरसाइज करें। 

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