26 APRFRIDAY2024 10:53:16 PM
Nari

'से नो टू ड्रग्ज’ की पहल करने वाली

  • Updated: 19 Feb, 2015 09:43 AM
'से नो टू ड्रग्ज’ की पहल करने वाली

गांव की अनपढ़ महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने व उन्हें शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाने का सपना लिए लुधियाना शहर की प्रीति कांसल ने 2003 में ‘आगाज चैरीटेबल फाऊंडेशन’ की शुरुआत अपनी सहेली मनमीत ग्रेवाल की मदद से की। इनका मकसद पंजाब के हर गांव में जाकर गरीबी रेखा के नीचे महिलाओं को वोकेशनल ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भरता के गुर सिखाना व गांव की लड़कियों को हॉयर एजुकेशन दिलाना तथा फाऊंडेशन की ओर से गांव में सैनिटेशन सुविधाएं उपलब्ध करवाना, बेरोजगारों को रोजगार दिलवाना। ताकि वे घर बैठे ही अपना छोटा मोटा व्यवसाय शुरू कर अपने खर्चे निकाल सकें।सिलाई-कढ़ाई, आचार मुरब्बे हैंडक्राफ्ट की ट्रेनिंग लेकर कई महिलाओं ने अपना कारोबार भी शुरु किया है।

शुरूआत
प्रीति कांसल अपने कॉलेज के दिनों में सामाजिक गतिविधियों के प्रति काफी एक्टिव थीं। उन्होंने इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ हयूमन राइट्स में भी शिक्षा ग्रहण की है। वह कुछ गतिविधियां गांवों में भी आयोजित करती थीं। प्रीति ने महसूस किया कि गांव की महिलाएं नारकीय जीवन व्यतीत कर रही हैं और काफी दबाव में जी रही हैं।उन पर पुरुषों के अत्याचारों को देख कर प्रीति कांसल ने इन महिलाओं की जिंदगी संवारने की ठानी और मनमीत ग्रेवाल के साथ मिलकर एक संस्था बनाने का फैसला किया जिसका मकसद सिर्फ गांव की महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति सचेत कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना था।

संस्था की शुरुआत छोटे से गांव एतियाना से की गई। जहां उन्होंने 20 महिलाओं को वोकेशनल ट्रेनिंग दी।हैंडीक्राफ्ट की ट्रेनिंग देकर खुद का व्यवसाय शुरु करने में पूरी मदद की।आज नतीजा यह है कि वहां की महिलाएं सिर उठा कर जी रही हैं और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। यही नहीं गांव के बेरोजगार लोगों को भी फाऊंडेशन ने रोजगार दिलाया।

राह आसान न थी
गांव की महिलाओं का विश्वास जीतना भी आसान काम नहीं था।उनके अंदर के आत्मसम्मान को जगाना और उन्हें अपनी मर्जी से अपना व्यवसाय शुरु करने के लिए प्रोत्साहित करना बेहद मुश्किल था।अनपढ़ता उन महिलाओं की सोच में बाधक थी। लेकिन प्रीति ने हिम्मत नहीं हारी और गांव की महिलाओं के विश्वास को जीत कर उनमें आत्मविश्वास की भावना पैदा की है।

आज कई गांवों की महिलाएं बड़े स्तर पर भी अपना व्यवसाय जमाए हुए हैं।वह कहती हैं कि फाऊंडेशन चलाने के लिए किसी से भी किसी तरह की कोई डोनेशन नहीं लेतीं बल्कि अपनी जेब से खर्च करती हैं।अब उनका उद्देश्य इन महिलाओं की हैंडीक्राफ्ट कला को विदेशी मार्कीट में पहुंचाना है। 

‘से नो टू ड्रग्ज’ की भी पहल
फाऊंडेशन की ओर से नशे के खिलाफ अभियान ‘से नो टू ड्रग्ज’ शुरु किया गया है जिसके माध्यम से गांव-गांव जाकर नौजवानों को नशे से दूर रहने के लिए एजुकेट किया जा रहा है। नौजवानों को सही रास्तों पर लाने के लिए प्रीति काफी प्रयासरत हैं।

औद्योगिक घराने से संबंध
प्रीति कांसल शहर के प्रमुख उद्योगपति धर्मपाल कांसल की बेटी है।वे कहती हैं कि आज बेशक महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं लेकिन गांवों में आज भी  महिलाएं पुरुष प्रधान समाज के दबाव में हैं। वे खुल कर अपना जीवन नहीं जी रहीं और अधिकतर अपने अधिकारों के प्रति जागरुक भी नहीं हैं, ऐसे में उनका उद्देश्य नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।

रूचियां..
प्रीति को अपने पैट के साथ समय बिताना काफी अच्छा लगता है। कुकिंग और रीडिंग उनकी हॉबी है। डैडीकेट होकर फाऊंडेशन के कार्यों को रूचिपूर्वक करना उनकी डिक्शनरी में शुमार है।

महिलाएं पहचानें अपनी ताकत
प्रीति का कहना है कि कहीं भी महिलाएं  सुरक्षित नहीं हैं। खुद महिलाओं को ही अपनी सुरक्षा को लेकर सचेत हो जाना चाहिए। उन्हें अपनी ताकत पहचान अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी होगी और हर स्थिति का डटकर मुकाबला करना होगा। 

- मीनू कपूर , लधियाना

Related News