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बैस्ट वर्किंग वूमन आगे बढऩे का रास्ता खोज ही लेती है ...

  • Updated: 24 Feb, 2014 08:18 AM
बैस्ट वर्किंग वूमन आगे बढऩे का रास्ता खोज ही लेती है ...

स्त्री का मन बहुत कोमल होता है। अवसर कोई भी हो, वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाती और उसकी सारी भावनाएं आंसुओं के रूप में बह निकलती हैं। एक वर्किंग वूमन को कार्पोरेट सैक्टर में स्वयं को बैस्ट साबित करने के लिए कई तरह की आलोचना का शिकार होना पड़ता है। आज हरेक इंसान स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने के चक्कर में दूसरों को नीचा दिखाने का कोई भी अवसर खोना नहीं चाहता।


ऑफिस में आप भी खुद को साबित करनेे के लिए पूरे यत्न से अपनी प्रैजैंटेशन देती हैं लेकिन फिर भी आपके बॉस कोई न कोई नुक्स निकाल ही देते हैं। आपको कुछ ऐसे वाक्य बॉस से सुनने को मिलते होंगे-तुम्हारी प्रैजैंटेशन में हमेशा कोई न कोई कमी होती है या तुम में लीडरशिप क्वालिटी नहीं है...आदि। ऐसी अवस्था में आंसू बहाने की बजाय हालात से लडऩा सीखें।

आलोचना प्रोफैशनल लाइफ का एक हिस्सा है जिससे कोई भी बच नहीं सकता। अत: अपनी बुराई सुन कर दुखी होने की बजाय इसे सकारात्मक तरीके से लेंगी तो आप एक नई ताकत के साथ आगे बढ़ेंगी। इसके लिए कुछ बातों को ध्यान में अवश्य रखें।

स्वीकार करना सीखें

बॉस को अपने हर इम्प्लाई से अच्छे काम की उम्मीद होती है लेकिन जब काम उनकी उम्मीद के अनुरूप नहीं होगा तो वह आपको प्वाइंट-आऊट जरूर करेंगे। अत: अगर आपकी गलती साबित हो जाती है तो बॉस को भरोसा दिलाएं कि आप इसे दोबारा नहीं दोहराएंगी। कोई भी इंसान परफैक्ट नहीं होता, अत:  स्वयं को भी ऐसा समझने की भूल न करें क्योंकि आपकी ऐसी सोच सफलता की राह में बाधक बन सकती है।

उसी वक्त रिएक्ट न करें
 अगर कोई आपकी आलोचना कर रहा है तो उसी समय रिएक्ट न करें। चुपचाप सुनें और बातों पर धैर्य से विचार करें कि क्या वह सही है या नहीं। यदि आप सही हैं तो बाद में आराम से अपना पक्ष रखें। इससे बॉस की नजरों में आपकी इज्जत बढ़ेगी। अगर आपकी गलती है तो अपने व्यवहार को बदलने की कोशिश करें। जाहिर न करें कि आप आलोचना से दुखी हैं वरना आपके आलोचकों को बातें करने का और मौका मिल जाएगा।

सुधारने का तरीका निश्चित करें  

यदि बॉस आपके काम में नुक्स निकालते हैं तो आप उनसे इस बारे में पूछें और अपनी कमी के बारे में जानें। अपनी आलोचना को सकारात्मक तरीके से लें क्योंकि बॉस की आपसे कोई दुश्मनी नहीं है। वह तो आप में सुधार चाहते हैं। ऐसा सोच कर मन को तसल्ली दें और अपनी कमियों में सुधार लाने के लिए जी-जान से जुट जाएं। अपने जैसे ही वर्क-प्रोफाइल वाले दूसरे लोगों से मिलें और उनसे उचित जानकारी लें।

असफलता का दोष दूसरों को न दें

 कोई भी प्रोजैक्ट समय पर न पूरा होने की अवस्था में बॉस के सामने कोई भी बहाना न बनाएं और न ही किसी दूसरे को दोषी ठहराएं। इससे ऑफिस में आपकी छवि गैर-जिम्मेदार इम्प्लाई की बन सकती है।

क्रिटिसिज्म यानी आलोचना आपको अपनी क्षमताओं और योग्यताओं का निरीक्षण करने का मौका देती है। अंत: स्वयं को असफल समझने की बजाय दोगुने उत्साह से स्वयं को आगे बढऩे के लिए तैयार करें।        

                                                                                                                                                                              —सरिता शर्मा


 

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