इटली की महिला सांसद गिल्डा स्पोर्टियेलो तो सभी को याद होगी जिसने सदन में अपने नवजात बच्चे को स्तनपान कराकर इतिहास रच दिया था। दुनिया भर में उनके इस काम की जमकर तारीफ हुई थी। इन दिनों वाईएसआर कांग्रेस की सांसद गोद्देती माधवी की भी खूब चर्चा हो रही है, जो अपने बच्चे को लेकर संसद में पहुंची ।
पीएम मोदी से की मुलाकात
गोद्देती माधवी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं, जिसमें वह अपने बच्चे को गोद में लिए संसद से बाहर निकलती दिखाई दे रही हैं। गोद्देती ने बाहर निकालकर मीडिया को बताया कि उन्होंने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अपने बच्चे के लिए आशीर्वाद मांगा। खबरों के अनुसार उन्होंने पीएम से अपने बच्चे का नाम रखने का भी अनुरोध किया।
सरोज बाबूलाल अहिरे भी संसद में लाई थी अपना बेटा
अगर इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो कुछ साल पहले केन्या की संसद में एक महिला सांसद ज़ुलेका हसन को बाहर निकाल दिया गया था क्योंकि वो अपना पांच महीने का बच्चा लेकर संसद गई थीं। स्पीकर ने उन्हें बच्चा बाहर छोड़कर संसद में आने के लिए कहा था। वहीं भारत की बात की जाए तो इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) विधायक सरोज बाबूलाल अहिरे महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र में अपने चार महीने के बेटे को लाकर सभी को चौका दिया था।
विधान भवन में है एक हिरकानी इकाई
सरोज बाबूलाल ने उस समय कहा था कि- वो अपने बच्चे को रोजाना सदन लेकर आना चाहेंगी जिससे वो काम के साथ साथ अपने बच्चे का भी ध्यान रख सके। बताया जाता है कि विधान भवन में एक हिरकानी इकाई है, जिसका इस्तेमाल महिलाएं अपने शिशु को स्तनपान कराने के लिए कर सकती हैं, यह प्रावधान सभी कामकाजी महिलाओं के लिए है।
मेनका संजय गांधी ने उठाई थी आवाज
दरअसल 29 मार्च, 2017 को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने संसद भवन में क्रेच सुविधा की अनुपस्थिति के बारे में लोकसभा की माननीय अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को एक पत्र लिखा था। उन्होंने अपने पत्र में कहा था कि संसद में काम करने वाले अधिकारियों की कुल संख्या में एक तिहाई से अधिक महिलाएं थीं, इसलिए क्रेच सुविधा का प्रावधान महत्वपूर्ण था। पत्र का तुरंत जवाब देते हुए, माननीय अध्यक्ष के कार्यालय ने सूचित किया कि संसद भवन के परिसर के भीतर एक क्रेच सुविधा जल्द ही कार्यात्मक होगी।
क्या है कानून
'मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017' के तहत प्रावधानों में कहा गया है कि एक स्वस्थ कार्यस्थल विविधता को बनाए रखा जाना चाहिए और क्रेच सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिष्ठानों को निर्देशित किया जाना चाहिए। इसे स्वीकार करते समय निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन किया जाएगा।