भारत में कोविशील्ड की 2 खुराक के बीच के अंतर को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कोविशील्ड की 2 खुराक के बीच का अंतर 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी पैनल के कुछ वैज्ञानिकों ने अंतर को बढ़ाने के निर्णय का समर्थन नहीं किया, जिसे सरकार ने बुधवार को खारिज कर दिया और कहा कि यह एक सर्वसम्मत निर्णय था। लेकिन अंतराल इतना मायने क्यों रखता है? आखिर क्या है विवाद? और अब अंतर को कम करने की मांग क्यों की जा रही है? यहां वह सब है जो आपको जानना आवश्यक है।
कोविडशील्ड डोज के बीच गेप क्यों रखता है मायने?
2 शॉट्स के बीच का अंतर मायने रखता है क्योंकि वैक्सीन इसी तरह काम करती है। पहला शॉट एंटीबॉडी को बढ़ाता है जबकि दूसरा शॉट बूस्टर है। अदर दूसरे शॉट में देरी होती है तो पहले शॉट को काम करने के लिए अधिक समय मिलता है। अप्रैल में पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा कि 12 सप्ताह का अंतराल होने पर टीके की प्रभावशीलता बढ़ जाती है।
अंतर को दूर करने के लिए नई मांगें क्यों हैं?
भारत द्वारा 2 कोविडशील्ड खुराक के बीच के अंतर को बढ़ाने के 2-3 दिन बाद नई स्टडी की गई। नए अध्ययन ने दावा करते हुए कहा कि कोविशील्ड की एक खुराक केवल 33% सुरक्षा देती है, न कि 65 से 85%, जिसका अनुमान पहले लगाया गया था। इसके बाद कई देश अब एक बार फिर इस अंतर को कम कर रहे हैं।
4 से क्यों बढ़ाया गया 8 हफ्ते का गैप?
कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 4 सप्ताह का अंतर रखने का पहला निर्णय ब्रिजिंग परीक्षण डेटा पर आधारित था। इसके बाद में वैज्ञानिक और प्रयोगशाला के नए डेटा मिले, जिसके आधार पर 6-8 सप्ताह कर दिया गया। अध्ययनों से पता चला है कि 4 सप्ताह के अंतर से टीके की प्रभावकारिता लगभग 57% और आठ सप्ताह होने पर लगभग 60% होती है।
कम उपलब्धता भी थी वजह?
स्टडी के अलावा कोविशील्ड के बीच अंतर बढ़ाने की एक वजह टीके की कम उपलब्धता भी है। टीकाकरण महीनों चलने के बाद भी 60 साल से ऊपर के 22% बजुर्गों को ही वैक्सीन की 2 डोज लग पाई हैं। वहीं, 45-60 साल के 20% लोगों को वैक्सीन की एक या दो लगी है। जबकि 18 से 44 साल की 95% आबादी को वैक्सीन नहीं लगी है।
क्या भारत कम करेगा 2 डोज के बीच का अंतर?
सरकार ने कहा है कि जो भी फैसला होगा, समुदाय के स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुद्दों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। फिलहाल दुनिया के सिर्फ 3 देशों में ही दो डोज के बीच 12 हफ्ते से ज्यादा का अंतर रखा गया गया है, जिसमें भारत, थाइलैंड और स्पेन शामिल हैं। भारत सरकार का कहना है कि अगर वैक्सीन के प्रभावशीलता के लिए समय कम करने की जरूरत पड़ी तो वह करेंगे।