भारत में नए साल की शुरुआत त्योहारों की सेलिब्रेशन के साथ की जाती है। नए साल के मौके पर सबसे पहला त्योहार लोहड़ी और मकर संक्राति का आता है जो कि उत्तर भारत में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। खास कर उस घर में जिसमें लड़के की शादी या बच्चे के जन्म हुआ हो। मकर संक्राति लोहड़ी के अगले दिन सेलिब्रेट की जाती है। इस दिन लोग लोग अपने घरों की छतों पर मिलकर खूब पतंग उड़ाते है। कई शहरों में तो मकर संक्राति से कई दिन पहले ही पतंग उत्सव शुरु हो जाता है। लोग दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर पतंग उड़ाते है लेकिन क्या आपको पता है कि मकर संक्राति और पतंग का क्या कनेक्शनन है? अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको बताते है कि मकर संक्राति के दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है।
मकर संक्राति के दिन पतंग उड़ाने के पीछे मान्यता है कि इससे खुशी, उल्लास, आजादी का अनुभव होता है। इस दिन घर में शुभ काम शुरु हो जाते है और इस खुशी को पतंग उड़ा कर जाहिर किया जाता है। यह न केवल एक धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक तौर पर सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
स्वास्थ्य के लिए है लाभदायक
इस दिन लोग सूर्य उदय के साथ पतंग उड़ाना शुरु कर देते है जिससे वह अधिक समय धूप में व्यतीत करते है। सर्दी के मौसम में सुबह के समय शरीर पर सीधे सूर्य की रोशनी पड़ना सेहत और हड्डियों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।
दूर रहती है बीमारियां
पतंग उड़ाते समय सूर्य की रोशनी में दिन बिताने से सर्दी का असर भी कम होता है जिससे खांसी, जुकाम, सर्दी जैसी बीमारियां दूर होती है। सूरज की रोशनी में रहने से स्किन की समस्या भी बहुत जल्द दूर होती है।
धार्मिक और ऐतिहासिक कारण
मान्यता है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरु हुई थी। इस दिन भगवान राम द्वारा उड़ाई हुई पतंग इंद्रलोक चली गई थी।
आंखें और दिमाग रहता है संतुलित
पतंग उड़ाने से आंखें और दिमाग भी पूरी तरह से संतुलित रहते है क्योंकि जब इंसान पतंग उड़ाते है तो आसमान में देखने से आंखे ठीक रहती है और पतंग और अपने आसपास की चीजों में संतुलन बनाए रखने से दिमाग संतुलित रहता है।
पतंग देती है प्यार का संदेश
हवा में उड़ती हुई पतंग आजादी, खुशी और शुश संकेत देती है। एक ही आसमान के नीच उड़ने वाली रंग- बिरंगी पतंगे प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है।
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