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क्या सच में खीरे के बीना अधूरी है जन्माष्टमी की पूजा,  रात 12 बजे ही क्यों काटा जाता है इसे?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 25 Aug, 2024 02:57 PM
क्या सच में खीरे के बीना अधूरी है जन्माष्टमी की पूजा,  रात 12 बजे ही क्यों काटा जाता है इसे?

जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, और इस दिन से जुड़ी कई विशेष परंपराएं और मान्यताएं हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण परंपरा खीरे का प्रयोग है, जो जन्माष्टमी के अनुष्ठानों में अहम भूमिका निभाता है। खीरे का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोणों से देखा जाता है।

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गर्भ नाल का प्रतीक है खीरा

ऐसा कहा जाता है खीरा का डंठल गर्भ नाल का प्रतीक होता है, जिस प्रकार गर्भ से बच्चा बाहर आने के बाद नाल को उससे अलग किया जाता है। उसी तरह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में डंठल वाले खीरे से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कराकर लोग इस उत्सव को बेहद ही धूमधाम से मनाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। 

सिक्के से काटा जाता है खीरा

जन्माष्टमी के दिन सुबह-सुबह डंठल वाले खीरे में लड्डू गोपाल को रख दिया जाता है। रात में जैसे ही 12 बजते हैं, उसी समय खीरे को सिक्के की मदद से काटकर उसके अंदर से लड्डू गोपाल को निकाला जाता है। खीरे से लड्डू गोपाल के जन्म होने की इस प्रक्रिया को देश के कई राज्यों में नाल छेदन नाम से भी जाना जाता है।

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माता देवकी का प्रतीक

कुछ मान्यताओं के अनुसार, खीरे का प्रयोग माता देवकी के प्रतीक के रूप में भी किया जाता है, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को जन्म दिया। खीरे को काटने की प्रक्रिया भगवान के जन्म के समय देवकी की प्रसव पीड़ा को दर्शाती है।

शुद्धता और पवित्रता

 खीरा एक शीतल और शुद्ध फल है, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत पवित्र माना जाता है। इसका प्रयोग भगवान के प्रसाद के रूप में भी किया जाता है, क्योंकि यह मन और शरीर दोनों को शीतलता प्रदान करता है।

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खीरे का सांस्कृतिक महत्व

 जन्माष्टमी के दिन बहुत से भक्त व्रत रखते हैं और खीरा एक महत्वपूर्ण फल है जिसे व्रत के दौरान खाया जाता है। खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है, जो व्रत के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखता है। खीरा जन्माष्टमी के अनुष्ठानों का अभिन्न हिस्सा है। इसे भगवान के सामने अर्पित किया जाता है और प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है। कुछ स्थानों पर खीरे का उपयोग विशेष पूजा अनुष्ठानों में भी किया जाता है।

खीरे का स्वास्थ्य लाभ

 खीरे में विटामिन सी, विटामिन के और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखने, त्वचा की चमक बढ़ाने, और पाचन में सहायक होता है। इसलिए इसे धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल करना एक स्वस्थ परंपरा है।जन्माष्टमी के त्यौहार में खीरे का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व उसे इस पावन पर्व का अभिन्न अंग बनाता है। यह न केवल एक प्रतीकात्मक फल है बल्कि एक पवित्र प्रसाद भी है जो भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है।

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