विटिलिगो (Vitiligo) एक ऐसी बीमारी है, जिसे सफेद दाग या फुलवहरी के नाम से भी जाता है। इस बीमारी के चलते त्वचा में सफेद रंग के पैच बन जाते हैं, जो समय के साथ बढ़ते रहते हैं। लोगों को इस बीमारी से जागरूक करने के लिए हर साल 25 जून को 'वर्ल्ड विटिलिगो डे' भी मनाया जाता है। चलिए आपको बताते हैं किन किन लोगों को होती है यह समस्या और कैसे रखें इससे बचाव...
क्या है विटिलिगो (Vitiligo) की समस्या?
विटिलिगो की समस्या सिर्फ त्वचा ही नहीं बल्कि बालों व मुंह के अंदरूनी हिस्से पर भी हो सकती है। जब हमारी त्वचा की कोशिकाएं मेलेनिन का उत्पादन बंद कर देती हैं, तब त्वचा, बाल या मुंह में सफेद पैच बनने लगते हैं। अक्सर लोगों को लगता है कि यह बीमारी छूने से फैलती है जबकि ऐसा नहीं है। यह कोई छूत की या जानलेवा बीमारी नहीं है।
किन लोगों को होती है यह समस्या?
वैसे तो यह समस्या किसी को भी हो सकती है लेकिन डार्क कलर की त्वचा पर बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। विटिलिगो किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह 30 साल की उम्र से पहले दिखाई देता है।
सफेद दाग के कारण
. ओवरएक्टिव इम्यून सिस्टम यानि ऑटोइम्यून डिसऑर्डर
. आनुवांशिक
. बहुत ज्यादा सनबर्न होना
. जेनेटिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस असंतुलित होना
सफेद दाग के लक्षण
. हाथों, चेहरे, पैरों और जेनिटल एरिया पर सफेद पैच पड़ना।
. कुछ मामलों में बालों, भौंहों या पलकों का रंग सफेद होना।
. टिश्यु, जो आपके मुंह और नाक के अंदर लाइन बनाते हैं, वह भी कलर खो सकते हैं।
. शरीर पर छोटे-छोटे सफेद दाग/धब्बे पड़ना
. कुछ लोगों को खुजली होती है।
सफेद दाग का ट्रीटमेंट
सनस्क्रीन का इस्तेमाल
AAD के अनुसार, सनस्क्रीन त्वचा के पैच को कवर करने में मदद करता है, खासतौर पर ऐसी स्किन के लिए जो धूप के कारण बर्न हो जाती है। मगर, सनस्क्रीन का यूज करने से पहले अपने एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
कैलीसिपोट्रिन
विटामिन डी का रूप, कैल्सिपोट्रिन एक टॉपिकल ऑइंटमेंट है, जो इस समस्या में काफी मददगार है। हालांकि, इससे आपको खुजली, ड्राई स्किन और चकत्ते जैसे साइड इफेक्ट हो सकते हैं इसलिए एक बार अपने एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
घरेलू इलाज
विटिलिगो के शुरुआती लक्षणों को ठीक करने के लिए आप कुछ नुस्खे भी अपना सकते हैं। इसके लिए लाल मिट्टी, हल्दी, नारियल तेल या मूली का पेस्ट लगाएं। इसके अलावा अंजीर, एलोवेरा और अदरक भी इस बीमारी में काफी फायदेमंद है।
होम्योपैथिक दवाएं
इसके अलावा होम्योपैथिक दवाओं से भी इस बीमारी का इलाज हो सकता है, जो काफी लंबे समय तक चलता है। वहीं इस ट्रीटमेंट के दौरान काफी परहेज भी रखना पड़ता है। साथ ही रोगी की मानसिक स्थिति के लिए काउंसिलिंग भी करवाई जाती है, ताकि वह अवसाद या तनाव में न जाए।
सावधानी भी जरूरी
अगर समस्या से बचने के लिए सबसे जरूरी है सही लाइफस्टाइल। इसके लिए अधिक चटपटा, खटाई, मसालेदार भोजन व फास्ट फूड्स कम लें। साथ ही तनाव से बचें और रोजाना योग व एक्सरसाइज करें। बच्चों के चेहरे पर हल्के भूरे दाग हो जाते हैं।चोट लगने, जलने अथवा शरीर पर हल्के भूरे रंग के धब्बे होने पर जल्द से जल्द इलाज करवाना चाहिए।