सावन का पावन महीना चल रहा है। मान्यता है कि ये महीना भोलेनाथ को बहुत प्रिय है और अगर इस महीने पूरे श्रद्धा से उनकी पूजा की जाए तो देवों के देव सारी मनोकामना पूरी करते हैं। वहीं स्नातन धर्म में भोलेनाथ का हर रूप निराला माना जाता है, चाहे वो भोले बाबा का हो या फिर उनका रौद्र रुप...
शिव पुराण के अनुसार महादेव को बस क्रोध आता है तो वो तांडव नृत्य करते हैं। एक बार वो इतने क्रोधित हो गए थे की अपने तांडव से पूरे ब्रह्मांड को हिला दिया था। आइए जानते हैं कि आखिर किसा बात पर शंक्र भगवान को इतना क्रोध आया था....
जब शंकर भगवान के तांडव नृत्य से कांप गया था ब्रह्मांड
कहा जाता है कि जब शिव जी तांडव नृत्य करते हैं तो उनकी आंखें क्रोध से लाल हो जाती हैं और पूरा ब्रह्मांड कांपने लगता है। भगवान शिव ने तांडव उस समय किया था, जब मां सती अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में शामिल होने मायके गई थीं। वहां सती के पिता ने शिव जी का बहुत अपमान किया जो सती से बर्दाशत नहीं हुई और उन्होंने हवन कुंद में कूद कर अपनी जान दे दी। महादेव को जब यह बात पता चली तो वह क्रोध से लाल हो गए। उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर सती के पिता दक्षराज का सर धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद सती को अपनी गोद मे उठाकर शिवजी ने क्रोध में पूरे ब्रह्मांड में तांडव नृत्य किया। शिव का ये रौद्र रूप देखकर सारे देवता, राक्षस, और पूरा ब्रह्मांड भयभीत हो गए थे।
सभी लोग ब्रम्हदेव के पास गए, उन्होंने सभी को भगवान विष्णु के पास जाने के लिए कहा,भगवान विष्णु ने कहा इस समय महादेव के सामने जाना उचित नहीं है। जब तक उनके गोद मे मां सती का पार्थिव शरीर है, वो शांत नहीं होंगे। भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के पार्थिव शरीर को काटकर नीचे गिराने लगे। कहा जाता है कि मां शरीर का जो अंग कटकर पृथ्वी पर गिरा है वहां-वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। जब मां सती का पूरा शरीर कटकर गिर गया, तब जाकर महादेव का क्रोध शांत हुआ।
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