बॉलीवुड में ऐसी बहुत सारी हीरोइनें हैं जो एवरग्रीन मानी जाती हैं। उन्हीं में से एक हैं वहीदा रहमान जिन्होंने लंबे समय तक बॉलीवुड नगरी पर राज किया। हालांकि वह कभी एक्ट्रेस बनना ही नहीं चाहती थी। बचपन से उन्होने डॉक्टर बनने का सपना देखा था लेकिन किस्मत उन्हें सिनेमा की दुनिया तक खींच लाई।चलिए, आज के इस पैकेज में वहीना रहमान के जीवन की ही कुछ अनसुनी बातें ही आपके साथ साझा करते हैं...
14 मई, 1938 को तमिलनाडु के एक परंपरावादी मुस्लिम परिवार में जन्मी वहीदा शुरू से ही डॉक्टर बनने का सपना देखती थी लेकिन फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से वह डाक्टरी शिक्षा हासिल नहीं कर पाईं। मुंबई में आने के बाद वहीदा रहमान और उनकी बहन ने भरतनाट्यम की शिक्षा ली। फिर उन्हें सन् 1955 में तेलुगू फ़िल्मों में काम करने अवसर मिल गया। यही से उनके फिल्मी करियर की शुरूआत हुई। तेलुगू में उन्हें दो फिल्में मिली और दोनों फिल्में ही हिट रही।जिसका फायदा उन्हें गुरुदत्त (Guru Dutt) की फिल्म “सीआईडी” में खलनायिका के रोल के रुप में मिला। इस अभिनय से उन्हें खूब सराहना मिली औऱ गुरु दत्त उनके कायल हो गए थे। दरअसल, उनकी तेलुगू फिल्म देखने के बाद गुरु दत्त ने ही उन्हें मुंबई लाने का फैसला कर लिया था।
इसके बाद गुरुदत्त ने वहीदा के साथ कई फिल्में की जिसमें सबसे सुर्खियां बटौरने वाली थी फिल्म प्यासा। इस फिल्म से ही दोनों एक दूसरे के करीब आ गए लेकिन यह प्रेम विफल रहा, कागज के फूल फिल्म दोनों की असफल प्रेमकथा पर ही आधारित थी। दोनों का प्यार परवान ना चढ़ा और कुछ समय बाद गुरुदत्त और वहीदा अलग हो गए।
दरअसल, गुरु दत्त शादीशुदा थे उन्होंने गीता दत्त से शादी की थी लेकिन वहीदा के आने के बाद गीता और गुरु दत्त बीच दूरियां आनी शुरू हो गईं। वहीदा को लेकर गुरु दत्त और गीता दत्त में आए दिन झगड़े होते रहते थे और दोनों अलग-अलग रहने लगे। वहीदा के बिना गुरू किसी फिल्म की कल्पना भी नहीं कर पाते थे इसका जिक्र उनके दोस्त अबरार अल्बी ने 10 ईयर्स विद गुरु दत्त नाम की किताब में किया है। गुरू दत्त और वहीदा के रिश्तों पर सिर्फ गीता दत्त को ही ऐतराज नहीं था बल्कि वहीदा के परिवार के लोग भी नहीं चाहते थे कि वो गुरू दत्त से शादी करें क्योंकि गुरू दत्त हिंदू थे और वहीदा मुस्लिम, ऐसे में वहीदा को भी इस रिश्ते का कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा था। 1963 में अपना घर बचाने के लिए गुरू दत्त ने भी वहीदा का साथ छोड़ दिया हालांकि पत्नी बच्चों को लेकर जा चुकी थी।
गुरु दत्त से ये सब बर्दाश्त नहीं होता था। दोस्तों के सामने वह बार-बार जान देने की बात करते थे। गुरु दत्त अपनी ढाई साल की बेटी से मिलना चाहते थे लेकिन गीता उसे उनके पास भेजने के लिए तैयार नहीं थीं। उन्होंने नशे की हालत में ही अपनी पत्नी को अल्टीमेटम दिया, बेटी को भेजो वर्ना तुम मेरा मरा हुआ शरीर देखोगी।
10 अक्तूबर 1964 की दोपहर गुरु दत्त के दोस्त अबरार के पास फोन आया कि गुरु दत्त की तबीयत खराब है। घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गुरु दत्त कुर्ता-पाजामा पहने पलंग पर लेटे हुए थे। पलंग की बगल की मेज पर एक गिलास रखा हुआ था जिसमें एक गुलाबी तरल पदार्थ थोड़ा बचा हुआ था। अबरार के मुंह से निकला, गुरु दत्त ने अपने आप को मार डाला है। गुरु दत्त की मौत की वजह कभी साफ नहीं हो पाई। खबरों की मानें तो कहा जाता है कि गुरु दत्त ने कथित रुप से खुदकूशी कर ली थी जिसके बाद वहीदा एक दम अकेली पड़ गई लेकिन उन्होंने करियर से मुंह नहीं मोड़ा और 1965 में आई फिल्म “गाइड” के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड का पुरस्कार मिला। 1968 में आई “नीलकमल” के बाद एक बार फिर वहीदा रहमान करियर बुलंदियों पर पहुंच गया।
फिर उनकी जिंदगी में आए अभिनेता कमलजीत। 1974 में कमलजीत ने उनके साथ काम किया और इसी दौरान उन्होंने शादी के लिए प्रपोज भी किया जिसे वहीदा ने स्वीकार कर लिया था। दोनों शादी के बंधन में बंध गए। साल 1991 में फिल्म “लम्हे” के बाद घर बसाने और संभालने के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया । वाहिदा के दो बच्चे सोहेल रेखी और काश्वी रेखी हैं लेकिन साल 2000 में जिंदगी ने फिर एक मोड़ लिया जो वहीदा को एक और गहरा धक्का दे गई। दरअसल अचानक ही उनके पति का देहांत हो गया। इसके बाद फिर से वहीदा ने फिल्मों में वापिसी की। उन्होंने वाटर, रंग दे बसंती और दिल्ली 6 जैसी फिल्मों में काम किया।
अपने शानदार फिल्मी सफर के लिए उन्हें पद्म श्री औरपद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इसके साथ वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) को दो बार बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है। वहीदा आज भी इंडस्ट्री में एक्टिव हैं और इवेंट्स में अपनी सबसे अच्छी सहेलियों आशा पारेख और हैलेन के साथ नजर आती ही रही हैं।