सरकार ने आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत के इस फैसले के बाद अमेरिका और कनाडा में रहने वाले प्रवासी भारतीयों में घबराहट पैदा हो गई है, ऐसे में चावल खीरदने की होड़ मच गई है।
दरअसल अमरीका में चावल की खपत कम होती है लेकिन कुछ ऐसे व्यंजन होते हैं जिसमें चावल का इस्तेमाल आवश्यक होता है। एशियाई मूल के लोग इसका अच्छा इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका और कनाडा में रहने वाले हजारों प्रवासी भारतीयों ने चावल खरीदने के लिए किराने की दुकानों और खुदरा श्रृंखलाओं में कतार लगा दी। कुछ लोग तो चावलों की बोरियां तक लेकर जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें सामने आई है जहां पर भारतीय चावल का स्टॉक खरीदने के लिए संघर्ष करते दिखाई दे रहे हैं। एक भारतीय ने बताया कि अमेरिका में अधिकांश एनआरआई दिन में दो बार चावल खाते हैं। भारतीय निर्यातकों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने सफेद चावल पर निर्यात प्रतिबंध लगाने से पूर्व संभवतः उन लोगों के बारे में नहीं सोचा जो विदेशों में रह रहे हैं। वे लोग ऊंची कीमत वाले सफेद चावल खरीदते हैं जिसका दाम 600 डॉलर प्रति टन से भी ऊंचा रहता है। सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
' गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से देश में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम होंगी।भारत के गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात के प्रमुख गंतव्यों में थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। डीजीएफटी अधिसूचना के अनुसार, हालांकि इस चावल की खेप को कुछ शर्तों के तहत निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी। अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की मंजूरी और अन्य सरकारों के अनुरोध पर निर्यात की भी अनुमति दी जाएगी।