
नारी डेस्क: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से दर्दनाक खबर सामने आई है। यहां कफ सिरप पीने के बाद 6 मासूम बच्चों की मौत हो गई। शुरुआती जांच में पाया गया कि इन सिरप में डाइथिलीन ग्लाइकोल (Diethylene Glycol - DEG) नाम का जहरीला केमिकल मिला हुआ था, जो किडनी को बर्बाद कर देता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 सितंबर के बाद से लगातार बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। सभी बच्चों को खांसी-जुकाम और बुखार था। माता-पिता ने स्थानीय डॉक्टर की सलाह पर कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सट्रॉस-डीएस (Nextro-DS) नामक कफ सिरप दिया। लेकिन सिरप पीने के कुछ ही दिनों बाद बच्चों में यूरिन बंद होने की समस्या देखी गई। बायोप्सी रिपोर्ट में सामने आया कि बच्चों की किडनी फेल हो चुकी थी। अब इस पूरे मामले की जांच की जा रही है और शक सीधा इन सिरप पर जा रहा है।
कफ सिरप में छिपा जहर
डॉक्टरों ने बताया कि कफ सिरप में कभी-कभी मिलावटी या घटिया कच्चा माल मिलाने से डाइथिलीन ग्लाइकोल (DEG) जैसी खतरनाक चीज पहुंच जाती है। यह केमिकल असल में एंटीफ्रीज़, पेंट और प्लास्टिक बनाने में काम आता है। भारत में इसका उपयोग दवाओं में पूरी तरह बैन है। अगर गलती से भी यह शरीर में चला जाए तो यह सीधे किडनी को नुकसान पहुंचाता है।
डाइथिलीन ग्लाइकोल (DEG) के खतरनाक असर
DEG शरीर में जाने के बाद बेहद तेजी से असर करता है। शुरुआत में मरीज को उल्टी, पेट दर्द और कमजोरी होती है। 24–48 घंटे के अंदर यह किडनी को डैमेज करना शुरू कर देता है। किडनी काम करना बंद कर देती है और शरीर में जहर जमा होने लगता है। अगर समय पर इलाज न मिले तो मरीज की मौत हो सकती है।

क्या है इलाज?
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामलों में समय बहुत अहम होता है। मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। डॉक्टर डायलिसिस (किडनी मशीन से खून साफ करना) के जरिए शरीर से जहर निकाल सकते हैं। कुछ दवाओं की मदद से भी इस जहरीले केमिकल का असर कम किया जा सकता है। लेकिन इलाज में थोड़ी भी देर जानलेवा साबित हो सकती है।

दवा खरीदते समय बरतें सावधानी
इस घटना ने साफ कर दिया है कि दवा खरीदते समय सतर्क रहना बेहद ज़रूरी है। हमेशा भरोसेमंद कंपनी और लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही दवा लें। दवा की पैकिंग पर निर्माता कंपनी और इंग्रीडिएंट्स (सामग्री) जरूर पढ़ें। अगर दवा खाने के बाद बच्चा असामान्य प्रतिक्रिया दिखाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सरकार और माता-पिता की जिम्मेदारी
डॉक्टरों का कहना है कि सरकार और दवा नियामक संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाजार में कोई भी मिलावटी या जहरीली दवा न बिके। वहीं माता-पिता को भी चाहिए कि बच्चों पर कोई भी दवा इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से अच्छी तरह सलाह लें। यह घटना हम सबके लिए चेतावनी है कि बच्चों की सेहत से कोई भी लापरवाही सीधे जान पर भारी पड़ सकती है।