भारत में भले ही लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 साल है, इसके बावजूद बाल विवाह के मामले देखने को मिल ही जाते हैं। हमारे देश में आज भी बाल विवाह आज भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। एक नई रिपोर्ट की मानें तो देश के चार राज्यों में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक हर पांच में से तीन बालवधू किशोरावस्था में ही गर्भवती हो जाती हैं। ये रिपोर्ट चिंता का विषय है।
चार राज्यों को अध्ययन में किया गया शामिल
गैर-सरकारी संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कम उम्र में शादी का लड़कियों के यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है क्योंकि उनमें से अधिकांश वयस्क होने से पहले ही मां बन जाती हैं। यह अध्ययन आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के चार जिलों चित्तूर, चंदौली, परभणी और कंधमाल के आठ ब्लॉकों के 40 गांवों में किया गया था।
बाल दिवस पर किया गया अध्ययन
यह अध्ययन बाल दिवस और बाल सुरक्षा सप्ताह (14 से 20 नवंबर) के मौके पर किया गया। इस अध्ययन में दावा किया गया है कि केवल 16 प्रतिशत माता-पिता और सास-ससुर तथा 34 प्रतिशत बाल वर या वधू ही बाल विवाह के नकारात्मक परिणामों से अवगत हैं। इस अध्ययन ने समाज में कम उम्र में विवाह की धारणा को प्रभावित करने वाले सामाजिक मानदंडों और प्रथाओं पर प्रकाश डाला है। इसने कहा कि बाल विवाह में योगदान देने वाले अन्य कारक अत्यधिक गरीबी, जबरन प्रवास और लैंगिक असमानता है।
लड़कियों का खो रहा है बचपन
अध्ययन के निष्कर्षों में यह भी निहित है कि स्कूलों तक पहुंच, उपलब्धता और सामर्थ्य के मुद्दों के कारण शैक्षिक अवसरों की कमी लड़कियों को स्कूल छोड़ने के लिए बाध्य करती है, जिससे लड़कों की तुलना में बाल विवाह को लेकर उनके लिए जोखिम बढ़ जाता है। ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ (NFHS4) के आंकड़ो में यह बात सामने आई थी कि भारत में प्रत्येक चार लड़कियों में से एक की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो रही है।
टीनएज प्रेग्नेंसी खतरे से कम नहीं
मां बनने के लिए महिला का कम से कम 20 साल का होना जरूरी होता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में दूसरे नंबर पर 15 से 19 साल की उम्र से पहले मां बनने वाली महिलाओं के बच्चे में जन्म के समय मृत्यु होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। टीनएज प्रेग्नेंसी का लड़कियों की मेंटल हेल्थ पर भी काफी असर पड़ता है। टीनएज में बच्चे को ठीक से पोषण न मिलने की वजह से बच्चा कम वजन का हो सकता है या कई बार लड़की को प्री-मेच्योर डिलीवरी का सामना करना पड़ सकता है।
इन बातों का रखें ख्याल
इतना ही नहीं कम उम्र में मां बनने से ज्यादातर लड़कियों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है। जो लंबे समय तक रहने पर दिल को नुकसान पहुंचा सकती है। जिसकी वजह से होने वाले बच्चे की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। कम उम्र में मां बनने जा रही लड़कियाें को पेट में दर्द, उल्टियां, आंख में धुधलापन, पैरों में सूजन या वजाइना से ब्लीडिंग जैसी परेशानी हो सकती है, ऐसे में तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।